7 सितंबर 2025 की रात भारत एक अद्भुत खगोलीय घटना का साक्षी बनेगा, जब आकाश में पूर्ण चंद्रग्रहण दिखाई देगा। इस दिन चंद्रमा पृथ्वी की छाया में पूरी तरह प्रवेश करेगा और धीरे-धीरे अपनी चमक खोकर लालिमा लिए हुए दिखाई देगा, जिसे ब्लड मून भी कहा जाता है। यह ग्रहण भारत में लगभग हर जगह दिखाई देगा और लोग खुले आसमान में इसे नंगी आंखों से देख सकेंगे।
ग्रहण का आरंभ रात 8 बजकर 58 मिनट पर होगा, जब चंद्रमा पृथ्वी की अंधेरी छाया यानी उम्ब्रा में प्रवेश करना शुरू करेगा। इसके बाद धीरे-धीरे चंद्रमा ढकता जाएगा और रात 11 बजे के आसपास ग्रहण की पूर्णता शुरू होगी। लगभग 82 मिनट तक चंद्रमा लाल-नारंगी रंग में चमकेगा और यह दृश्य सबसे आकर्षक होगा। यह पूर्ण ग्रहण रात 12 बजकर 22 मिनट तक चलेगा। इसके बाद चंद्रमा धीरे-धीरे छाया से बाहर निकलना शुरू करेगा और ग्रहण का अंत 8 सितंबर की सुबह 1 बजकर 26 मिनट पर होगा।
इस प्रकार पूरा चंद्रग्रहण लगभग 3 घंटे 28 मिनट तक चलेगा। भारत के हर प्रमुख शहर—दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद, लखनऊ, भोपाल, नागपुर, पुणे, रायपुर, गुवाहटी और भुवनेश्वर—में यह दृश्य पूरी तरह देखा जा सकेगा। यह ग्रहण न केवल भारत में बल्कि एशिया, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और अफ्रीका के बड़े हिस्सों से भी दिखाई देगा। अनुमान है कि दुनिया की लगभग 80 प्रतिशत आबादी इसे प्रत्यक्ष देख पाएगी।
वैज्ञानिक दृष्टि से यह घटना इसलिए खास होती है क्योंकि जब सूर्य की रोशनी पृथ्वी के वायुमंडल से होकर गुजरती है, तो नीली किरणें बिखर जाती हैं और लाल रंग की किरणें ही चंद्रमा तक पहुँच पाती हैं। यही कारण है कि चंद्रमा पूर्ण ग्रहण के समय लालिमा लिए दिखाई देता है। यह दृश्य पूरी तरह सुरक्षित है और इसे बिना किसी उपकरण या चश्मे के देखा जा सकता है।
ज्योतिष के अनुसार चंद्रग्रहण का धार्मिक महत्व भी माना जाता है। पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण शुरू होने से लगभग 9 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। इस दौरान भोजन, पूजा और शुभ कार्यों से परहेज करने की परंपरा है। ग्रहण समाप्त होने के बाद घरों में शुद्धिकरण और स्नान का भी महत्व बताया जाता है।
7 सितंबर 2025 का यह चंद्रग्रहण वर्ष का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण ग्रहण माना जा रहा है। लंबे समय तक चलने वाला यह ग्रहण लोगों को प्रकृति की उस अद्भुत शक्ति का एहसास कराएगा, जो कभी-कभी हमारे आकाश को रंगीन और रहस्यमय बना देती है।
