नेपाल में सोशल मीडिया बैन पर बवाल, हिंसा में 20 की मौत, गृहमंत्री ने दिया इस्तीफा, बैन हुआ खत्म

Jitendra Kumar Sinha
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नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ सोमवार को हुए प्रदर्शन हिंसक रूप धर गए, जिसमें कम से कम 20 लोगों की मौत हो गई और 300 से ज्यादा घायल हो गए. हालात बद से बदतर होते देख काठमांडू में सेना को तैनात कर दिया गया. प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने मृतकों पर दुख जताया और कहा कि कुछ अवांछित तत्वों की घुसपैठ के कारण शांतिपूर्ण प्रदर्शन हिंसक बन गया, और सरकार का असली मकसद सोशल मीडिया बैन करना नहीं, बल्कि उसे रेगुलेट करना था. उन्होंने 15 दिनों में रिपोर्ट सौंपने वाली जांच समिति बनाने की घोषणा भी की. 


गृहमंत्री रमेश लेखक ने इन घातक झड़पों के बाद नैतिक आधार पर इस्तीफा दे दिया. सूचना व प्रसारण मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरूंग ने कैबिनेट की आपात बैठक के बाद घोषणा की कि सरकार ने सोशल मीडिया बैन वापस ले लिया है और संबंधित एजेंसियों को प्लेटफॉर्म्स को दोबारा शुरू करने का तुरंत आदेश दे दिया गया है. प्रदर्शनकारियों, जिनमें स्कूली छात्र भी शामिल थे, ने संसद परिसर में घुसने की कोशिश की, जिस पर पुलिस ने वाटर कैनन, आंसू गैस व रबर बुलेट्स से जवाबी कार्रवाई की. काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, नेशनल ट्रॉमा सेंटर में आठ, एवरेस्ट व सिविल अस्पतालों में तीन-तीन, काठमांडू मेडिकल कॉलेज में दो और त्रिभुवन टीचिंग अस्पताल में एक व्यक्ति की मौत हुई, और देशभर में अब तक 347 से ज्यादा घायल अस्पतालों में भर्ती हैं—वजह से कई अस्पतालों में जगह नहीं बची और घायल दूसरे अस्पतालों में भेजे जा रहे हैं. 


तनाव के चलते काठमांडू समेत कई इलाकों में कर्फ्यू लागू कर दिया गया और ललितपुर, पोखरा, बुटवल और इटहरी में पाबंदियां बढ़ा दी गईं. सरकार ने 26 सोशल मीडिया साइट्स—जिनमें फेसबुक, व्हाट्सऐप, एक्स, इंस्टाग्राम, यूट्यूब शामिल हैं—बंद कर दी थीं क्योंकि उन्होंने निर्धारित समय में सरकार के पास पंजीकरण नहीं कराया था. सरकार का दावा था कि यह कदम सिर्फ रेगुलेशन के लिए था, लेकिन आम जनता को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर इस कदम से बड़ा हमला होने का डर था. प्रधानमंत्री ओली ने कहा कि उनकी सरकार अनियमितताओं और अहंकार का विरोध करेगी और कोई ऐसा कदम स्वीकार नहीं करेगी जो राष्ट्र को कमजोर करता हो. 


उन्होंने सोशल मीडिया के खिलाफ नहीं होने की बात करते हुए कहा कि जो अस्वीकार्य है, वह ये कि कुछ लोग नेपाल में व्यापार करें, पैसा कमाएँ और फिर भी कानून का पालन न करें. आलोचनाओं का जवाब देते हुए उन्होंने प्रदर्शनकारियों को 'कठपुतली' करार दिया, "जो सिर्फ विरोध करने के लिए विरोध कर रहे हैं". पत्रकारों ने काठमांडू में धरना देकर बैन को मीडिया की आज़ादी पर हमला बताया, जबकि कंप्यूटर एसोसिएशन ऑफ़ नेपाल (CAN) ने चेतावनी दी कि फेसबुक, एक्स और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स को बंद करना शिक्षा, व्यापार, संचार और लोगों की आम जिंदगी को प्रभावित करेगा और देश डिजिटल दुनिया से पिछड़ सकता है. इस बीच सोशल मीडिया पर ‘नेपो किड’ ट्रेंड वायरल हो गया, जिसमें युवा नेताओं और रसूखदार लोगों के बच्चों पर भ्रष्टाचार से मिली सुविधाओं का लाभ उठाने का आरोप लगाया गया है.

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