तकनीक और संस्कृति का अनोखा संगम - “एआइ महाभारत” - 25 अक्तूबर को होगा “डिजिटल प्रीमियर”

Jitendra Kumar Sinha
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भारतीय संस्कृति का सबसे महान महाकाव्य महाभारत एक बार फिर दर्शकों के सामने लौटने जा रहा है, लेकिन इस बार एक नई और अद्भुत तकनीकी रूपरेखा के साथ। प्रसार भारती के ओटीटी मंच ‘वेव्स’ और दूरदर्शन पर एआइ-पुनर्कल्पित महाभारत का डिजिटल प्रीमियर 25 अक्तूबर को होगा, जबकि इसका दूरदर्शन पर प्रसारण दो नवंबर से शुरू होगा। यह प्रस्तुति न केवल पौराणिक कथा को आधुनिक दर्शकों के लिए पुनर्जीवित करेगी, बल्कि भारतीय परंपरा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का एक शानदार मेल भी पेश करेगी।

इस परियोजना में आधुनिकतम एआइ तकनीक का प्रयोग किया गया है। पात्रों के चेहरे, संवादों की अभिव्यक्ति और युद्ध के दृश्य एआइ की सहायता से इतने वास्तविक बनाए गए हैं कि दर्शक एक नए युग का अनुभव करेंगे। कलाकारों के स्वर और हावभाव को भी डिजिटल रूप से पुनर्निर्मित किया गया है ताकि पात्रों की गहराई और भावनात्मक शक्ति बनी रहे।

निर्माताओं का कहना है कि उद्देश्य केवल एक कथा दोहराना नहीं है, बल्कि उसे आधुनिक तकनीक के जरिये फिर से जीवंत करना है। इसमें एआइ का प्रयोग न केवल दृश्य प्रभावों तक सीमित है, बल्कि संवाद, ध्वनि, संगीत और प्रकाश संयोजन तक फैला हुआ है।

एआइ महाभारत का सबसे बड़ा उद्देश्य भारतीय संस्कृति और दर्शन को युवा पीढ़ी तक नए अंदाज़ में पहुंचाना है। आज जब डिजिटल माध्यम ही संचार का मुख्य साधन बन चुका है, तो वेव्स जैसे मंचों के माध्यम से महाभारत को पुनः प्रस्तुत करना परंपरा के पुनर्जागरण जैसा है।

दूरदर्शन, जिसने 1980 के दशक में महाभारत के पहले संस्करण से इतिहास रचा था, अब तकनीकी रूप से उन्नत युग में उसी कथा को पुनर्जीवित कर रहा है। यह कदम प्रसार भारती की उस दिशा में पहल है, जहां भारतीय मिथकों और ग्रंथों को विश्व पटल पर आधुनिक रूप में प्रस्तुत किया जा सके।

यह प्रोजेक्ट न केवल धार्मिक या सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत की तकनीकी क्षमता का भी प्रदर्शन है। एआइ आधारित इस परियोजना में भारतीय विशेषज्ञों ने दृश्य प्रभाव, एनीमेशन और डिजिटल डिजाइनिंग में नया मानक स्थापित किया है। इससे यह स्पष्ट है कि भारत अब एआइ-संवर्धित मनोरंजन के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाने को तैयार है।

एआइ महाभारत केवल एक धारावाहिक नहीं है, बल्कि एक सांस्कृतिक प्रयोग है। यह इस बात का उदाहरण है कि किस तरह तकनीक का उपयोग परंपरा को संरक्षित करने और नई पीढ़ी के लिए उसे प्रासंगिक बनाने में किया जा सकता है। 25 अक्तूबर को जब इसका प्रीमियर होगा, तो यह सिर्फ एक डिजिटल घटना नहीं होगी, बल्कि भारतीय कथा, आस्था और नवाचार के अद्भुत संगम का उत्सव होगा।



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