बिहार विधानसभा चुनाव के लिए मतदाता सुविधा को और अधिक आसान बनाने के उद्देश्य से चुनाव आयोग ने आधार कार्ड सहित 12 प्रकार के फोटोयुक्त पहचान पत्रों को मतदान के लिए मान्यता प्रदान कर दी है। आयोग ने यह जानकारी दी है और सभी मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को निर्देश जारी किया है कि वे मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन के 15 दिनों के भीतर नए मतदाताओं को मतदाता पहचान पत्र (ईपीआईसी – EPIC) वितरित कराएं।
चुनाव आयोग के अनुसार, बिहार के लगभग सभी विधानसभा क्षेत्रों में 100 प्रतिशत मतदाताओं को मतदाता पहचान पत्र जारी कर दिए गए हैं। इसके बावजूद, कुछ मतदाता ऐसे हैं जो अपनी पहचान के लिए ईपीआईसी प्रस्तुत करने में असमर्थ हैं। ऐसे मतदाताओं की सुविधा के लिए आयोग ने 7 अक्टूबर को एक विशेष अधिसूचना जारी की है, जिसमें उन्हें 11 वैकल्पिक फोटो पहचान दस्तावेजों में से किसी एक का उपयोग कर वोट देने की अनुमति दी गई है।
इन मान्यता प्राप्त पहचान पत्रों में -
1- आधार कार्ड,
2- मानरेगा जॉब पासबुक,
3- श्रम मंत्रालय या आयुष्मान भारत योजना के तहत जारी स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड,
4- ड्राइविंग लाइसेंस,
5- पैन कार्ड,
6- राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) के तहत महापंजीयक द्वारा जारी स्मार्ट कार्ड,
7- भारतीय पासपोर्ट,
8- फोटोयुक्त पेंशन दस्तावेज,
9- केंद्र या राज्य सरकार तथा सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा कर्मचारियों को जारी फोटोयुक्त सेवा पहचान पत्र,
10- सांसदों/विधायकों/विधानसभा सदस्यों के लिए जारी आधिकारिक पहचान पत्र
11- सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा जारी विशिष्ट विकलांगता पहचान पत्र (UDID) शामिल हैं।
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि मतदान के लिए मतदाता सूची में नाम होना अनिवार्य है। मतदाता चाहे ईपीआईसी प्रस्तुत करें या वैकल्पिक पहचान दस्तावेज, उनका नाम मतदाता सूची में दर्ज होना जरूरी होगा। इस व्यवस्था से मतदान प्रक्रिया में पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित होती है और मतदाता अपनी पहचान की पुष्टि कर आसानी से मतदान कर सकते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के वैकल्पिक पहचान पत्रों को मान्यता देने से मतदान में लोगों की भागीदारी बढ़ेगी और मतदान केंद्र पर लंबी कतारों और असुविधाओं में कमी आएगी। इससे खासकर ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के मतदाता अधिक सुविधा के साथ अपने मत का प्रयोग कर सकेंगे।
चुनाव आयोग की इस पहल से मतदाता पहचान के पुराने मुद्दों को काफी हद तक हल किया जा सकेगा। चुनाव प्रक्रिया में अधिकतम नागरिकों को शामिल करना लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक है। इसके साथ ही, मतदाता पहचान पत्रों के वैकल्पिक विकल्प मतदाताओं की सुविधा बढ़ाने के साथ-साथ चुनाव प्रक्रिया को और अधिक समावेशी बनाता है।
इस निर्णय के बाद मतदाता चाहे कोई भी मान्यता प्राप्त फोटो पहचान पत्र प्रस्तुत करें, उन्हें मतदान में भाग लेने से रोका नहीं जाएगा। यह कदम बिहार विधानसभा चुनाव में अधिकतम मतदान सुनिश्चित करने और नागरिकों की सुविधा के प्रति चुनाव आयोग की गंभीर प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
इस प्रकार, आधार कार्ड और अन्य 11 वैकल्पिक फोटो पहचान पत्र अब बिहार के मतदाताओं के लिए मतदान का अधिकार सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण साधन बन गया हैं, जिससे चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता, सुरक्षा और सुविधा सभी सुनिश्चित होती हैं।
