भारत के निर्वाचन आयोग ने सोमवार को घोषणा की है कि देश के सात राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश की आठ विधानसभा सीटों पर 11 नवंबर 2025 को उपचुनाव कराए जाएंगे। इन उपचुनावों की मतगणना 14 नवंबर को होगी। आयोग के अनुसार, यह चुनाव उन सीटों को भरने के लिए कराए जा रहा है जो हाल के महीनों में विभिन्न कारणों से जैसे- इस्तीफा, निधन या अयोग्यता, के कारण रिक्त हुई हैं।
चुनाव आयोग के आधिकारिक कार्यक्रम के मुताबिक, उपचुनाव जम्मू-कश्मीर के बडगाम और नगरोटा, राजस्थान के अंता, झारखंड के घाटशिला, तेलंगाना के जुबली हिल्स, पंजाब के तरनतारन, मिजोरम के डाम्पा और ओडिशा के नुआपाड़ा, कुल आठ विधानसभा क्षेत्रों में होगा। इन उपचुनावों के लिए अधिसूचना जल्द जारी की जाएगी, जिसके बाद नामांकन प्रक्रिया शुरू होगी। नामांकन दाखिल करने, जांच और वापसी की तय तारीखें भी आयोग शीघ्र घोषित करेगा।
निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि जिन जिलों या क्षेत्रों में उपचुनाव होंगे, वहां आदर्श आचार संहिता तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है। इसका अर्थ है कि अब संबंधित राज्य सरकारें और स्थानीय प्रशासन कोई नई नीति, योजना या घोषणा नहीं कर सकेंगे जो मतदाताओं को प्रभावित करे।
आठ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की घोषणा के बाद सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। जम्मू-कश्मीर में बडगाम और नगरोटा सीटों को लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और भाजपा के बीच मुकाबला दिलचस्प रहने की संभावना है। राजस्थान में अंता सीट पर कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला होने की उम्मीद है, वहीं झारखंड के घाटशिला क्षेत्र में झामुमो और भाजपा आमने-सामने होंगे। तेलंगाना की जुबली हिल्स सीट पर बीआरएस, कांग्रेस और भाजपा के बीच त्रिकोणीय संघर्ष देखने को मिल सकता है, जबकि पंजाब के तरनतारन में आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला होगा।
विश्लेषकों के अनुसार, यह उपचुनाव न केवल स्थानीय मुद्दों बल्कि राज्यों में सत्ताधारी दलों की लोकप्रियता की भी परीक्षा होगी। मिजोरम के डाम्पा और ओडिशा के नुआपाड़ा जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में क्षेत्रीय दलों की भूमिका अहम रहने वाली है।
आयोग ने कहा है कि उपचुनावों के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाएंगे ताकि मतदान प्रक्रिया शांतिपूर्ण और निष्पक्ष ढंग से संपन्न हो। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और वीवीपैट (VVPAT) का प्रयोग किया जाएगा, जिससे मतदान पारदर्शी बने।
11 नवंबर के उपचुनाव भले ही केवल आठ सीटों के लिए हों, लेकिन इनके परिणाम राष्ट्रीय राजनीतिक परिदृश्य पर दूरगामी प्रभाव डाल सकता है। यह चुनाव विभिन्न राज्यों में सत्तारूढ़ दलों की लोकप्रियता की दिशा का संकेत देंगे और आगामी बड़े चुनावों के लिए राजनीतिक तापमान को और बढ़ा देगा।
