लोकतंत्र के महापर्व यानि चुनाव के दौरान मतदाताओं को स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से मतदान करने का अवसर मिल सके, इसके लिए चुनाव आयोग लगातार आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करता रहता है। इसी क्रम में आयोग ने “एग्जिट पोल” को लेकर नया निर्देश जारी किया है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि 6 नवंबर की सुबह 7 बजे से लेकर 11 नवंबर की शाम 6 बजकर 30 मिनट तक किसी भी माध्यम से एग्जिट पोल या उससे जुड़े परिणामों के प्रसारण पर पूरी तरह रोक रहेगी।
एग्जिट पोल एक ऐसा सर्वेक्षण होता है, जिसमें मतदान के बाद मतदाताओं से पूछा जाता है कि उन्होंने किस पार्टी या प्रत्याशी को वोट दिया। इस सर्वे के आधार पर मीडिया संस्थान चुनाव परिणामों का अनुमान प्रस्तुत करते हैं। हालांकि ये परिणाम वास्तविक नतीजों से मेल नहीं भी खाते हैं, लेकिन इनका असर मतदाताओं की मानसिकता और चुनावी माहौल पर पड़ सकता है।
चुनाव आयोग का मानना है कि मतदान के दौरान किसी भी प्रकार के प्रचार या जनमत के प्रसारण से मतदाताओं पर अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ सकता है। विशेषकर बहु-चरणीय चुनावों में, जहां एक क्षेत्र में मतदान समाप्त हो चुका होता है लेकिन अन्य क्षेत्रों में मतदान बाकी रहता है, वहां एग्जिट पोल के नतीजे आगामी मतदान को प्रभावित कर सकता है। इसीलिए आयोग ने यह रोक लगाई है ताकि सभी मतदाता बिना किसी दबाव के अपनी स्वतंत्र राय से वोट डाल सकें।
आयोग ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि कोई भी व्यक्ति या संस्था यदि इस निर्देश का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। एग्जिट पोल से संबंधित परिणामों का प्रसारण या प्रकाशन करने पर दो साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों की सजा हो सकता है। यह सजा जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126A के तहत दिया जा सकता है।
आयोग ने सभी टेलीविजन चैनलों, रेडियो, सोशल मीडिया प्लेटफार्मों और डिजिटल पोर्टलों को सख्त निर्देश दिया है कि वे इस अवधि में किसी भी तरह की चुनाव सामग्री, सर्वेक्षण रिपोर्ट या विश्लेषण का प्रसारण न करें। साथ ही, आयोग ने राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे इस पर विशेष निगरानी रखें और उल्लंघन की स्थिति में तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित करें।
चुनाव आयोग का यह कदम लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। मतदाता की स्वतंत्रता और चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता बनाए रखना आयोग की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इस दिशा में एग्जिट पोल पर रोक एक संतुलित और विवेकपूर्ण निर्णय माना जा रहा है, जो यह सुनिश्चित करेगा कि चुनाव के दौरान मतदाताओं पर किसी भी प्रकार का अप्रत्यक्ष दबाव या भ्रम न उत्पन्न हो।
