चीन से निपटने के लिए ताइवान बना रहा है -‘टी-डोम’

Jitendra Kumar Sinha
0

 




ताइवान जलडमरूमध्य एक बार फिर वैश्विक सुर्खियों में है। चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों और आक्रामक रुख के बीच ताइवान ने एक ऐतिहासिक घोषणा की है कि देश अब अपना खुद का ‘टी-डोम एयर डिफेंस सिस्टम’ (T-Dome Air Defense System) तैयार करेगा। यह सिस्टम आधुनिक मिसाइल और ड्रोन हमलों से सुरक्षा प्रदान करेगा, ठीक उसी तरह जैसे इजराइल का ‘आयरन डोम’ और अमेरिका का ‘गोल्डन डोम’ काम करता है।

ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंगते ने नेशनल डे के अवसर पर यह घोषणा की, साथ ही रक्षा बजट को 2030 तक जीडीपी के 5% तक बढ़ाने की भी बात कही। इस कदम ने न केवल चीन को झकझोरा है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय रणनीतिक हलकों में एक नई चर्चा छेड़ दिया है कि क्या ताइवान अब केवल रक्षात्मक नहीं, बल्कि रणनीतिक आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।

ताइवान और चीन के बीच तनाव नया नहीं है। 1949 में चीन के गृहयुद्ध के बाद राष्ट्रीयवादी कुओमिन्तांग सरकार ताइवान चली गई, जबकि माओत्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों ने मुख्यभूमि चीन पर कब्जा कर लिया। तब से बीजिंग ताइवान को अपना "अलग हुआ प्रांत" मानता है, जबकि ताइपे खुद को एक स्वतंत्र लोकतांत्रिक गणराज्य कहता है। पिछले कुछ वर्षों में चीन ने ताइवान के चारों ओर सैन्य अभ्यास, लाइव-फायर ड्रिल, एयर डिफेंस जोन में घुसपैठ, और ड्रोन गश्त जैसे कदमों से तनाव को चरम पर पहुँचा दिया है। बीजिंग की रणनीति साफ है कि ताइवान को “अंतरराष्ट्रीय अलगाव” में डालना और उसकी सैन्य तैयारी को मनोवैज्ञानिक दबाव में रखना। ऐसे माहौल में ‘टी-डोम’ की घोषणा केवल एक रक्षा परियोजना नहीं है, बल्कि राजनीतिक संदेश भी है कि ताइवान झुकने वाला नहीं है।

ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंगते ने अपने नेशनल डे भाषण में कहा है कि “हम शांति चाहते हैं, लेकिन शांति तभी संभव है जब हमारे पास अपनी रक्षा की पर्याप्त ताकत हो। ‘टी-डोम’ इसी दिशा में हमारा अगला कदम है।” उन्होंने बताया कि यह सिस्टम मल्टी-लेयर्ड (बहुस्तरीय) और हाई-लेवल डिटेक्शन बेस्ड (उच्चस्तरीय निगरानी आधारित) होगा। इसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), ऑटोमैटिक रिस्पॉन्स सिस्टम, और स्मार्ट ट्रैकिंग रडार जैसी तकनीकें जोड़ी जाएंगी। इससे चीन की ओर से आने वाले किसी भी मिसाइल, ड्रोन या हाइपरसोनिक हमले को पहले ही रोका जा सकेगा। हालांकि, उन्होंने लागत या समयसीमा का खुलासा नहीं किया है, लेकिन रक्षा विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह परियोजना इजराइल के सहयोग से अगले 5-6 वर्षों में क्रियान्वित हो सकता है।

‘टी-डोम’ का नाम ताइवान के पहले अक्षर ‘T’ से लिया गया है। यह एक डोम-शेप्ड डिफेंस नेटवर्क होगा जो पूरे ताइवान को हवाई सुरक्षा की छत्रछाया में लाएगा। यह प्रणाली तीन स्तरों में कार्य करेगी। पहला स्तर होगा शॉर्ट-रेंज ड्रोन और रॉकेट इंटरसेप्शन, स्थानीय रक्षा कमांड द्वारा नियंत्रित। दूसरा स्तर होगा मिड-रेंज मिसाइल डिफेंस सिस्टम, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित रडार और स्मार्ट सेंसर होंगे, और तीसरा स्तर होगा लॉन्ग-रेंज स्ट्रेटेजिक डिफेंस, यह सबसे ऊँचा स्तर होगा, जो दुश्मन के क्रूज या बैलिस्टिक मिसाइलों को हवा में ही नष्ट करेगा। इस परियोजना में स्थानीय रक्षा उद्योग, विश्वविद्यालयों के अनुसंधान केंद्र, और निजी टेक कंपनियों को शामिल किया जाएगा। इससे ताइवान की रक्षा नीति “इंपोर्ट-डिपेंडेंट” से “इननोवेशन-ड्रिवन” बन जाएगा।

ताइवान की घोषणा के कुछ घंटों बाद ही बीजिंग ने तीखी प्रतिक्रिया दी। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा कि “लाई चिंगते का भाषण तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करता है और ताइवान की स्वतंत्रता की खतरनाक सोच को बढ़ावा देता है। चीन किसी भी ऐसे कदम का कड़ा विरोध करता है जो ‘एक चीन नीति’ का उल्लंघन करे।” चीनी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा कि  “टी-डोम एक प्रतीक है, ताइवान की बढ़ती सैन्य निर्भरता अमेरिका और इज़राइल पर, और यह एशिया में हथियारों की नई दौड़ को जन्म देगा।” दरअसल, चीन इस कदम को “ताइवान की संप्रभुता की घोषणा” की तरह देख रहा है। बीजिंग को यह भी डर है कि ‘टी-डोम’ के जरिए ताइवान अमेरिका-इजराइल-जापान की संयुक्त सैन्य रणनीति का हिस्सा बन जाएगा, जो चीन की ‘वन चाइना पॉलिसी’ के लिए चुनौती होगा।

अमेरिका लंबे समय से ताइवान की रक्षा में अप्रत्यक्ष लेकिन निर्णायक भूमिका निभाता आ रहा है। 1979 के ‘ताइवान रिलेशन एक्ट’ के तहत अमेरिका ताइवान को आत्मरक्षा के लिए आवश्यक हथियार प्रदान करता है।
हाल ही में अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने कहा है कि  “चीन द्वारा ताइवान पर सैन्य हमला निकट भविष्य में संभव है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि ताइवान के पास पर्याप्त प्रतिरोध क्षमता हो।” ‘टी-डोम’ के विकास में अमेरिका रडार सिस्टम, डेटा लिंक, और सैटेलाइट नेटवर्क के माध्यम से तकनीकी सहायता दे सकता है। यह ताइवान को न केवल हवाई सुरक्षा देगा, बल्कि इंटेलिजेंस शेयरिंग नेटवर्क का भी हिस्सा बनाएगा।

ताइवान का ‘टी-डोम’ मॉडल दरअसल इजराइल के ‘आयरन डोम’ से प्रेरित है। आयरन डोम 2011 से काम कर रहा है और उसने अब तक 1000 से अधिक रॉकेटों को हवा में नष्ट किया है। यह एक किफायती और मोबाइल सिस्टम है, जो हर हमले पर त्वरित प्रतिक्रिया देता है। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, ताइवान इज़राइल से इंटरसेप्शन एल्गोरिद्म, थ्रेट एनालिसिस सॉफ्टवेयर, और मल्टी-डोम कोऑर्डिनेशन तकनीक सीख सकता है। ‘टी-डोम’ को ताइवान के पहाड़ी और तटीय भौगोलिक ढांचे के अनुरूप डिजाइन किया जाएगा, ताकि यह 360 डिग्री कवरेज प्रदान कर सके।

ताइवान की नई रक्षा नीति दो स्तंभों पर आधारित है। पहला स्वदेशी रक्षा उत्पादन, और दूसरा प्रौद्योगिकी-आधारित स्मार्ट सुरक्षा। ‘टी-डोम’ इसी नीति का केंद्रीय प्रोजेक्ट है। इसके अलावा ताइवान स्वदेशी ड्रोन, नेवी शिप्स और साइबर डिफेंस नेटवर्क पर भी तेजी से काम कर रहा है। राष्ट्रपति लाई चिंगते ने घोषणा की है कि अगले पाँच वर्षों में ताइवान अपने रक्षा बजट को GDP के 5% तक बढ़ाएगा, जो अब तक का सबसे ऊँचा स्तर होगा। यह संकेत है कि ताइवान अब “रक्षात्मक लोकतंत्र” से “रणनीतिक प्रतिरोध” की ओर बढ़ रहा है।

अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने ताइवान की पहल की सराहना की है। जापान के रक्षा मंत्री ने कहा है कि “ताइवान की सुरक्षा एशिया-प्रशांत की स्थिरता से जुड़ी है। हम लोकतंत्र के पक्ष में खड़े हैं।” वहीं यूरोपीय संघ ने भी यह कहते हुए समर्थन दिया है कि  “हर लोकतंत्र को आत्मरक्षा का अधिकार है, लेकिन एशिया में शांति बनाए रखना भी उतना ही ज़रूरी है।” हालांकि कुछ विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि ‘टी-डोम’ एशिया में हथियारों की नई दौड़ को जन्म दे सकता है। क्योंकि इसके जवाब में चीन एंटी-मिसाइल सिस्टम और साइबर अटैक क्षमता को और बढ़ा सकता है।

‘टी-डोम’ के संभावित घटक होंगे एडवांस्ड रडार नेटवर्क, चीन के तटीय क्षेत्र से आने वाले मिसाइल सिग्नल्स की पहचान। AI-पावर्ड इंटरसेप्शन सॉफ्टवेयर, हमले के स्रोत, दिशा और गति का तुरंत विश्लेषण। इंटरसेप्टर मिसाइलें, हमलावर वस्तु को हवा में ही नष्ट करना। सेंट्रल कमांड यूनिट, सभी डेटा को एकीकृत कर तत्काल निर्णय लेना और ड्रोन डिफेंस लेयर, छोटे ड्रोन और कम ऊँचाई वाले हमलों से सुरक्षा। इस प्रणाली में संभवतः 5G और क्वांटम एनक्रिप्शन तकनीक का उपयोग भी किया जाएगा, जिससे संचार नेटवर्क को हैक करना लगभग असंभव होगा।

चीन पहले ही अपने तटीय सैन्य ठिकानों को DF-17 हाइपरसोनिक मिसाइलों और J-20 स्टेल्थ फाइटर्स से लैस कर चुका है।  ‘टी-डोम’ इन हथियारों की मारक क्षमता को चुनौती देगा, क्योंकि यह मिसाइलों को ट्रैक और न्यूट्रलाइज करने में सक्षम होगा। इसके जवाब में चीन संभवतः तीन कदम उठा सकता है। पहला साइबर अटैक बढ़ाना, ताकि ‘टी-डोम’ की डिजिटल प्रणाली को बाधित किया जा सके। दूसरा इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर यूनिट्स का विस्तार करना और तीसरा मनोवैज्ञानिक युद्ध (Psychological Warfare) के जरिए ताइवान पर दबाव बढ़ाना। विश्लेषकों का कहना है कि आने वाले वर्षों में ताइवान जलडमरूमध्य साइबर और तकनीकी युद्ध का केंद्र बन सकता है।

‘टी-डोम’ केवल ताइवान की सुरक्षा परियोजना नहीं है, बल्कि एशिया की रणनीतिक दिशा बदलने वाली घटना है। इससे अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया, और ऑस्ट्रेलिया के साथ ‘इंडो-पैसिफिक सुरक्षा नेटवर्क’ मजबूत होगा। भारत भी इस पर नजर रख रहा है, क्योंकि ताइवान के साथ उसका चिप टेक्नोलॉजी और सेमीकंडक्टर सहयोग पहले से चल रहा है। यदि ताइवान सफलतापूर्वक ‘टी-डोम’ विकसित कर लेता है, तो यह छोटे देशों के लिए सुरक्षा आत्मनिर्भरता का मॉडल बन सकता है।

ताइवान की यह घोषणा स्पष्ट करती है कि वह अब केवल कूटनीतिक बयानबाजी तक सीमित नहीं रहना चाहता है। राष्ट्रपति लाई चिंगते ने कहा है कि “हम किसी युद्ध को नहीं चाहते, लेकिन हम हर युद्ध के लिए तैयार रहेंगे। ”‘टी-डोम’ ताइवान की उस नई सोच का प्रतीक है जिसमें रक्षा केवल ढाल नहीं, बल्कि संदेश भी है  कि लोकतंत्र अब डरता नहीं है, बल्कि अपने अधिकारों की रक्षा करना जानता है।

‘टी-डोम’ परियोजना न सिर्फ ताइवान की सैन्य नीति में बदलाव का संकेत है, बल्कि यह पूरे एशिया के लिए एक संदेश है कि अब शांति की रक्षा केवल संवाद से नहीं, तैयारी से भी होगी। जहाँ चीन अपनी ताकत दिखाने में व्यस्त है, वहीं ताइवान अपनी सुरक्षा को स्मार्ट और तकनीकी बना रहा है।  यह केवल रक्षा नहीं, बल्कि “डिजिटल डिटरेंस” (Digital Deterrence) की ओर एक बड़ा कदम है।  आने वाले वर्षों में यदि ‘टी-डोम’ सफल होता है, तो यह साबित करेगा कि आधुनिक युद्धों में साहस से अधिक मायने रखती है तकनीक, और संख्या से अधिक मायने रखती है रणनीति।



एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!
To Top