अयोध्या इन दिनों एक बार फिर रोशनी से नहाने को तैयार है। दीपावली से पहले होने वाला दीपोत्सव इस बार सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि विश्व-पटल पर दर्ज होने वाला ऐतिहासिक क्षण बन गया है। रामनगरी अयोध्या में इस बार २९ लाख दीये जलाने की तैयारी की जा रही है, जिससे पूरा सरयू तट दिव्य आभा में नहाने वाला है। यह नजारा इतना अद्भुत होगा कि मानो आकाश से तारों की बारिश हो रही हो।
शनिवार को दीपोत्सव की शुरुआत के साथ ही एक नया विश्व रिकॉर्ड बन चुका है। सरयू तट पर आयोजित महाआरती में २१ हजार से अधिक लोगों ने एक साथ भाग लेकर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। खास बात यह रही कि प्रतिभागियों की गिनती के लिए इस बार QR कोड स्कैनिंग जैसी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया। इस रिकॉर्ड ने न केवल आस्था की शक्ति को दिखाया, बल्कि तकनीक और परंपरा के संगम का एक सुंदर उदाहरण भी प्रस्तुत किया।
पूरा शहर इस समय दीपों की तैयारी में जुटा है। राम की पैड़ी से लेकर ५६ घाटों तक मिट्टी के दीये सजाए जा रहे हैं। लगभग ३० हजार स्वयंसेवक इस कार्य में दिन-रात जुटे हैं ताकि एक भी दीया बुझा न रहे। दीयों की गिनती का जिम्मा गिनीज बुक की टीम के पास है, जो ड्रोन कैमरों की मदद से हर घाट की गिनती सुनिश्चित कर रही है। इस दृश्य में हजारों लोग पारंपरिक वेशभूषा में दीप सजाते नजर आते हैं, बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक — सब इस आयोजन का हिस्सा बन चुके हैं।
उत्तर प्रदेश के पर्यटन और संस्कृति मंत्री ने बताया कि अयोध्या का दीपोत्सव अब सिर्फ स्थानीय आयोजन नहीं रहा, यह भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान का प्रतीक बन गया है। उन्होंने कहा कि “रामनगरी की यह दीप्ति पूरी दुनिया को यह संदेश देती है कि प्रकाश और सत्य की विजय हमेशा होती है।”
इस वर्ष आयोजन में डिजिटल सहभागिता को भी जोड़ा गया है। सरकार ने “दीपोत्सव एआर” नामक एक मोबाइल ऐप लॉन्च किया है, जो गूगल प्ले स्टोर और एप्पल ऐप स्टोर दोनों पर उपलब्ध है। इस ऐप के माध्यम से दुनिया में कहीं से भी लोग वर्चुअल दीपदान कर सकते हैं और अपने नाम का दीप सरयू तट पर जलवा सकते हैं। यह पहल दीपोत्सव को वैश्विक स्वरूप देने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।
शहर के हर कोने में दीपोत्सव की झलक दिख रही है — राम मंदिर परिसर के आस-पास रंगोली, पुष्प सज्जा और विद्युत झिलमिलाहट से पूरा इलाका जीवंत हो उठा है। हर गली-मोहल्ले में लोग अपने-अपने घरों के सामने दीये सजा रहे हैं। बाजारों में मिट्टी के दीयों, फूलों और पारंपरिक दीप सजावट की जबरदस्त मांग है।
घाटों पर ड्रोन कैमरों से दिखता हुआ दृश्य किसी स्वप्नलोक जैसा लगता है — लाखों दीयों की लौ सरयू नदी में प्रतिबिंबित होकर मानो आकाशगंगा बना रही है। हर लहर में भगवान राम के नाम की झंकार है, और हर दीप में उस दिव्यता की चमक जो सदियों से अयोध्या को ‘प्रकाश की नगरी’ बनाती आई है।
इस वर्ष के दीपोत्सव को लेकर उम्मीद है कि यह न केवल अब तक का सबसे भव्य आयोजन होगा, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक एकता और श्रद्धा की शक्ति का संदेश पूरी दुनिया को देगा। अयोध्या एक बार फिर यह साबित करने जा रही है कि जब परंपरा और आधुनिकता साथ आती हैं, तो इतिहास बनता है — और इस बार वह इतिहास २९ लाख दीयों की रोशनी में लिखा जाएगा।
