राजधानी पटना में आगामी 2025 बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के बीच सीट-बंटवारे को लेकर एक गहरी खींचतान उभरती नजर आ रही है। कांग्रेस का कहना है कि उसे महागठबंधन में पर्याप्त सीटें मिलें, लेकिन RJD-सहयोगी दलों की ओर से इसे उचित हिस्सा नहीं मिल रहा है, जिससे गठबंधन की समग्र मजबूती पर ही सवाल खड़े हो गए हैं।
कांग्रेस ने RJD को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि सीट-बंटवारे का मसला अब “आज या कभी नहीं” जैसा हो गया है — अगर जल्द समाधान नहीं हुआ, तो कांग्रेस अपनी रणनीति अलग ले सकती है। RJD की ओर से अब तक इस पर पूरा समन्वय नहीं दिखा है और पार्टियों के बीच संवाद में ठहराव आ गया है।
विशेष रूप से, कांग्रेस को लगभग ६०-७० सीटों की उम्मीद है जबकि RJD पहले ही बड़ी संख्या में सीटें खुद के लिए सुरक्षित रखना चाहती है। इस गहरे सौदेबाजी माहौल में सहयोगी दलों जैसे विकासशील इंसान पार्टी (VIP) और वाम दल भी खुश नहीं हैं — उनकी मांगें अब तक पूरी नहीं हुई हैं और वे कांग्रेस-RJD खेमों के बीच कहीं फँसी हुई हैं।
राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि यदि यह असहमति दूर नहीं हुई तो इसका असर महागठबंधन की एकता पर पड़ेगा। विरोधी दल राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) इस विभाजन का लाभ उठा सकता है। वैश्विक राजनीतिक दृष्टिकोण से देखें तो, गठबंधन के भीतर ये कलह आधुनिक राजनीति-संधिभंग से बहुत कम नहीं — जहाँ पुरानी दोस्ती व साझा मकसद अब सीट संख्या-संग्राम में बदल रही है।
निष्कर्ष यह है कि कांग्रेस-RJD के बीच यह सीट-वितरण विवाद सिर्फ संख्या का नहीं, बल्कि पार्टी-सत्ता-स्थिति का भी मसला बनता जा रहा है। अगर दोनों तरफ से जल्दी समझौता नहीं हुआ, तो महागठबंधन को चुनावी टूर्नामेंट में कमजोर हाथों से उतरना पड़ सकता है।
