दिपावली की तिथि पर असमंजस हुआ खत्म - काशी विद्वत परिषद ने 20 अक्टूबर को बताया शुभ दिन

Jitendra Kumar Sinha
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महापर्व दीपावली को लेकर देशभर में चल रहे असमंजस पर अब पूर्ण विराम लग गया है। काशी के प्रमुख विद्वानों और धर्माचार्यों की संस्था काशी विद्वत परिषद ने सोमवार को अपनी आधिकारिक घोषणा करते हुए बताया कि इस वर्ष दीपावली 20 अक्टूबर (सोमवार) को मनाई जाएगी। परिषद के महामंत्री पं. रामनारायण द्विवेदी ने स्पष्ट किया कि धर्मशास्त्रों के अनुसार, ‘प्रदोष व्यापिनी अमावस्या’ का होना लक्ष्मी पूजन के लिए अनिवार्य है, और यह योग 20 अक्टूबर की दोपहर 3 बजकर 44 मिनट से आरंभ होकर 21 अक्टूबर की शाम 5 बजकर 54 मिनट तक रहेगा।


द्विवेदी जी ने बताया कि दीपावली की रात अमावस्या तिथि में मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इसलिए उस दिन प्रदोषकाल (सूर्यास्त से लगभग ढाई घंटे का समय) में अमावस्या का योग होना जरूरी माना गया है। उन्होंने कहा कि  “जो तिथि प्रदोष काल में व्यापिनी होती है, वही तिथि त्योहार के लिए मान्य होती है। दिवाली का पर्व रात्रि में निशीथ काल में मनाया जाता है, अतः इस वर्ष 20 अक्टूबर को ही दीपावली का पर्व उचित और शास्त्रसम्मत रहेगा।”


कुछ पंचांगकारों ने इस वर्ष दिवाली 21 अक्टूबर को बताई थी, क्योंकि उस दिन उदया तिथि यानि सूर्योदय के समय भी अमावस्या रहेगा। परंतु काशी विद्वत परिषद ने स्पष्ट किया कि “दिवाली रात्रिकालीन पर्व है, न कि दिवसकालीन। अतः इसमें उदया तिथि का नहीं बल्कि प्रदोषकाल की अमावस्या का महत्व होता है।”


इस निर्णय को अंतिम रूप देने के लिए परिषद ने एक राष्ट्रीय बैठक भी बुलाई थी, जिसमें कई प्रमुख धर्मशास्त्रियों, आचार्यों और पंचांग निर्माताओं ने भाग लिया। सर्वसम्मति से निष्कर्ष निकला कि 20 अक्टूबर को ही दीपावली का पर्व मनाना धार्मिक दृष्टि से उचित है।


पं. द्विवेदी के अनुसार, मां लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त 20 अक्टूबर को शाम 7 बजकर 8 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। यह मुहूर्त प्रदोषकाल में आता है और इसमें मां लक्ष्मी, भगवान कुबेर, गणेश जी और महालक्ष्मी यंत्र की पूजा करना अत्यंत शुभ फलदायी रहेगा।


काशी विद्वत परिषद की इस घोषणा के बाद दीपावली की तिथि को लेकर चल रहा भ्रम समाप्त हो गया है। अब पूरे देश में यह महापर्व 20 अक्टूबर को ही उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा।


धर्माचार्यों का मत है कि “20 अक्टूबर की रात्रि में मां लक्ष्मी और भगवान गणेश का पूजन करने से धन, ऐश्वर्य, और सौभाग्य की वृद्धि होगी। यही दिन दीपदान, भोग, और पूजा के लिए सर्वाधिक शुभ रहेगा।”

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