अफगानिस्तान और पाकिस्तान की सीमा “ड्यूरंड लाइन” के आसपास हाल-ही में अलग स्तर का तनाव फैल गया है। बात ज़्यादा गंभीर तब हुई जब पाकिस्तान की वायु सेनाएँ काबुल और पक्तिया में हवाई हमले करने की कार्रवाइयाँ शुरू कर दीं। इस कार्रवाई को तालिबान ने अपने संप्रभुता उल्लंघन के रूप में देखा और पलटवार करने की खासी तैयारी कर ली।
तालिबान ने इन हमलों का उत्तर बड़े पैमाने पर देते हुए नंगरहार, कुनार, कंधार और ज़ाबुल सहित पांच प्रांतों से पाकिस्तानी चौकियों और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। अफगान स्रोतों और मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, ये हमले विशेष रूप से उन स्थानों पर हुए जहाँ से ड्रोन संचालन किया जाता था। तालिबान के एक कमांडर ग्रुप — 201 खालिद बिन वालिद आर्मी कोर — ने दावा किया कि इस ऑपरेशन में उसने कई चौकियों को नष्ट कर दिया और खारीद चौकियों पर नियंत्रण हासिल किया।
कंधार के मैलवांड जिले में एक हमले में अफगान सेना ने कहा कि 6 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए और 2 को बंदी बनाया गया। वहीं अन्य स्थानों से रिपोर्ट है कि कुल 12 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हुई। कुछ अन्य रिपोर्टों में यह दावा किया गया कि कुल 6 सैनिक बंदी बनाए गए, जबकि एक चौकी पूरी तरह तबाह हो गई। तालिबान ने यह भी कहा कि कुछ सैनिकों को पाकिस्तानी मिलिशिया से अलग-थलग कर लिया गया।
तालिबान के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि यह हमला बदले की मुहिम का हिस्सा है — पाकिस्तान की हवाई कार्रवाई का जवाब — जिसे तालिबान ने “अवैध और उल्लंघन” माना है। उन्होंने कहा है कि इस तरह की प्रतिक्रिया सिर्फ एक शुरुआत हो सकती है, यदि सीमा उल्लंघन जारी रहा।
पाकिस्तान सरकार ने इन हमलों की तीखी निंदा की है और सीमा के पास अपनी सुरक्षा बलों को अलर्ट पर रखा है। स्थिति को देखते हुए, सीमा क्षेत्र में रहने वाले नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने की व्यवस्थाएँ शुरू हो गई हैं। दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव का स्तर इस कदर बढ़ चुका है कि ये स्थितियाँ युद्ध जैसी दिखने लगी हैं।
कुल मिलाकर, यह स्थिति सिर्फ एक सीमावर्ती संघर्ष नहीं है — यह एक राजनीतिक और सैन्य संदेश भी है — कि यदि सीमाओं की पवित्रता और संप्रभुता पर आँच आई, तो प्रतिक्रिया दरकिनार नहीं की जाएगी। खैर, अब आगे का मोर्चा क्या होगा, ये देखने की बात है।
