भोलेनाथ के जयघोष और वैदिक मंत्रोच्चार से घर का वातावरण पवित्र हो उठा जब हमारे परिवार ने श्रद्धा और भक्ति से ओत-प्रोत रुद्राभिषेक अनुष्ठान सम्पन्न किया। भगवान शिव को समर्पित यह पूजन न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान था, बल्कि परिवार के सभी सदस्यों के लिए आत्मिक शांति, आशीर्वाद और एकता का प्रतीक बन गया।
पूजा के विधिवत संचालनकर्ता
इस पवित्र अनुष्ठान का संचालन पंडित शंभू नाथ झा जी ने अपने पुत्रों के साथ मिलकर किया। उनके मुख से निकले हर वैदिक मंत्र के उच्चारण ने वातावरण में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार किया। हर श्लोक के साथ मन में भक्ति की तरंगें उमड़ पड़ीं।
मंदिर की तरह सजे घर के मध्य में स्थापित था सुंदर शिवलिंग, जिसे फूलों, चंदन और बिल्वपत्रों से सुसज्जित किया गया था। धूप, दीप और शंखध्वनि के साथ जब “ॐ नमः शिवाय” का मंत्र गूंजा, तो लगा मानो स्वयं महादेव का आशीर्वाद घर में अवतरित हो गया हो।
पूजन करने वाले श्रद्धालु
पूरे परिवार ने मिलकर दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक किया। यह केवल एक पूजा नहीं, बल्कि परमात्मा के प्रति कृतज्ञता और समर्पण का प्रतीक क्षण था — जहाँ हर मन ने अपनी आस्था को शिव चरणों में अर्पित किया।
आशीर्वाद और अपनापन से भरा स्नेहमय संगम
इस पावन अवसर पर अनेक प्रियजन और रिश्तेदार भी शामिल हुए, जिनकी उपस्थिति ने वातावरण को और भी आनंदमय बना दिया।
कार्यक्रम में उपस्थित रहे —
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श्री बिरेंद्र कुमार सिन्हा, जे.के. सिन्हा के बड़े भाई
भतीजे अमित सिन्हा एवं पुत्रवधू शालिनी प्रिया सिन्हा अपनी पुत्रियों अनुष्री सिन्हा और श्रीजा सिन्हा के साथसुरेन्द्र रंजन एवं प्रवीण कुमारी अपने पुत्र आर्यन के साथ
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अन्य आत्मीयजन — शशि भूषण प्रसाद, धर्मेश कुमार, अर्चना सिन्हा, धीरज कुमार, प्रीति सिन्हा अपने बच्चों सम्रथ और पारिधि के साथ, तथा अनेक अन्य परिजन जिन्होंने सपरिवार आकर शिव की आराधना में भाग लिया।
इन सभी की उपस्थिति ने इस आयोजन को केवल एक धार्मिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि परिवार और मित्रों के स्नेह से भरा एक आध्यात्मिक उत्सव बना दिया।
रुद्राभिषेक का आध्यात्मिक महत्व
रुद्राभिषेक भगवान शिव की सबसे शक्तिशाली उपासना मानी जाती है। यह मन को शुद्ध करता है, नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और जीवन में सुख-समृद्धि तथा मानसिक शांति प्रदान करता है। शिवलिंग पर की गई अर्घ्य, दूध, जल और मधु की प्रत्येक बूंद हमारे भीतर की अशुद्धियों को धो देती है।
जैसे-जैसे “ॐ नमः शिवाय” का जप पूरे घर में गूंजता गया, सभी के चेहरे पर संतोष और प्रसन्नता झलकने लगी। यह अनुभव एक आंतरिक शांति का था — जैसे मन स्वयं महादेव के चरणों में लीन हो गया हो।
अंत में आरती और प्रसाद वितरण
पूजा के समापन पर आरती की गई और प्रसाद का वितरण हुआ। परिवार और अतिथियों ने मिलकर प्रसाद ग्रहण किया और भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त किया। हर कोई इस पावन अनुभव से भावविभोर था।
यह दिन न केवल हमारे परिवार के लिए, बल्कि सभी उपस्थित भक्तों के लिए एक यादगार क्षण बन गया — एक ऐसा पल, जब श्रद्धा और परंपरा ने सभी को एक सूत्र में बांध दिया।

