भारत ने अफगानिस्तान में अमेरिका द्वारा बगराम एयरबेस को फिर से कब्जा करने के प्रयास का खुले रूप से विरोध किया है। भारत ने मॉस्को-फॉर्मेट की बैठकों में यह स्पष्ट किया कि वह किसी भी विदेशी सैन्य बुनियादी ढांचे की तैनाती का समर्थक नहीं है। मोदी सरकार की यह प्रतिक्रिया डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा अमेरिकी टैरिफ युद्ध छेड़े जाने के बाद आई है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने कई बार यह कथन दिया है कि वह अफगानिस्तान में बगराम एयरबेस पर दोबारा नियंत्रण करना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने एक विशेष दूत भी नियुक्त किया है, जो तालिबानी प्रशासन पर दबाव डाल रहा है कि वे बगराम एयरबेस अमेरिका को सौंपें। ट्रम्प का तर्क है कि यह एयरबेस अमेरिका के लिए काफी महत्वपूर्ण है, और उनका मानना है कि पिछली सरकार द्वारा इसे छोड़ा जाना एक बड़ी भूल थी।
मॉस्को-फॉर्मेट की बैठक में, इस समूह ने उन देशों के प्रयासों का विरोध किया जो अफगानिस्तान में सैन्य आधार स्थापित करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि यह कदम क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के हितों के खिलाफ है। बैठक में शामिल देशों ने आतंकवाद के खिलाफ सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया और अफगानिस्तान में विकास व समृद्धि लाने हेतु रणनीतियों पर चर्चा की।
बैठक में भारत, रूस, चीन के अलावा ईरान, कज़ाखिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान सहित कई देश मौजूद थे। भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई राजदूत विनय कुमार ने की। उन्होंने दोहराया कि भारत एक स्वतंत्र, शांतिपूर्ण और स्थिर अफगानिस्तान का पक्षधर है, और वहां के लोगों की सामाजिक-आर्थिक उन्नति भारत की प्राथमिकताओं में है।
