उत्तर प्रदेश का 76वां जिला बनेगा “कल्याण सिंह नगर”

Jitendra Kumar Sinha
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उत्तर प्रदेश सरकार राज्य के प्रशासनिक ढांचे को और सशक्त व सुगठित बनाने की दिशा में तेजी से काम कर रही है, और इसी क्रम में अब प्रदेश का 76वां जिला — “कल्याण सिंह नगर” बनने जा रहा है। यह नया जिला दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यपाल कल्याण सिंह के नाम पर प्रस्तावित किया गया है, जिन्हें न केवल भाजपा बल्कि समूचे प्रदेश में विकास और प्रशासनिक दृढ़ता के प्रतीक के रूप में जाना जाता है।


सरकार के सूत्रों के अनुसार, इस नए जिले में अलीगढ़ और बुलंदशहर जिलों के कुछ हिस्सों को मिलाया जाएगा। प्रस्ताव के अनुसार बुलंदशहर जिले की डिबाई तहसील, अलीगढ़ जिले की अतरौली तहसील और गंगीरी क्षेत्र को मिलाकर “कल्याण सिंह नगर” नामक नया जिला बनाया जाएगा। यह क्षेत्र भौगोलिक रूप से लंबे समय से प्रशासनिक दृष्टि से पिछड़ा माना जाता रहा है, और लगातार मांग उठ रही थी कि यहां एक अलग जिला बनना चाहिए ताकि लोगों को राजस्व, पुलिस और न्यायिक सेवाओं के लिए अलीगढ़ या बुलंदशहर तक न जाना पड़े।


पूर्व सांसद राजवीर सिंह उर्फ राजू भैया (कल्याण सिंह के पुत्र) ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को औपचारिक रूप से प्रस्ताव भेजा था कि क्षेत्र के विकास और जनता की सुविधा के लिए इन तहसीलों को मिलाकर नया जिला बनाया जाए। प्रस्ताव में बताया गया कि डिबाई, अतरौली और गंगीरी के लोग छोटे-छोटे कामों के लिए 70–80 किलोमीटर तक की दूरी तय करते हैं, जिससे सरकारी योजनाओं का लाभ समय पर नहीं मिल पाता।


प्रस्ताव के बाद शासन ने इस पर कार्रवाई शुरू कर दी है। राजस्व परिषद के आयुक्त ने अलीगढ़ और बुलंदशहर जिलाधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं कि वे क्षेत्र की जनसंख्या, भौगोलिक स्थिति, बुनियादी सुविधाएं, राजस्व सीमा, प्रशासनिक प्रबंधन और संभावित जिला मुख्यालय के प्रस्ताव पर विस्तृत रिपोर्ट भेजें। बताया जा रहा है कि दोनों जिलों के अधिकारियों ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार कर ली है और जल्द ही शासन को भेजी जाएगी।


स्थानीय स्तर पर “कल्याण सिंह नगर” को लेकर उत्साह देखा जा रहा है। अतरौली और डिबाई दोनों इलाकों में लोग इसे कल्याण सिंह की विरासत के सम्मान के रूप में देख रहे हैं। अतरौली वही क्षेत्र है जहां से कल्याण सिंह ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी और कई बार विधायक चुने गए थे। लोगों का मानना है कि नए जिले के नाम से क्षेत्र को न केवल पहचान मिलेगी बल्कि विकास के नए द्वार भी खुलेंगे।


अधिकारी सूत्रों का कहना है कि शासन स्तर पर यह प्रक्रिया फिलहाल रिपोर्ट और व्यवहार्यता अध्ययन के चरण में है। रिपोर्ट अनुमोदन के बाद गृह विभाग इसे मुख्यमंत्री को भेजेगा, जिसके बाद कैबिनेट में इसे औपचारिक मंजूरी के लिए रखा जाएगा। अनुमोदन मिलते ही जिले की सीमाएं अधिसूचित की जाएंगी और फिर राजपत्र में इसका प्रकाशन कर “कल्याण सिंह नगर” आधिकारिक रूप से उत्तर प्रदेश का 76वां जिला बन जाएगा।


गौरतलब है कि फिलहाल उत्तर प्रदेश में 75 जिले हैं। पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने कई नए जिले बनाए हैं — जैसे अंबेडकर नगर, कासगंज, अमेठी, हापुड़ और शामली, ताकि प्रशासनिक कामकाज को जनसुविधा के अनुकूल बनाया जा सके। “कल्याण सिंह नगर” बनने के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश को एक और प्रशासनिक इकाई मिलने से शासन-प्रशासन की पहुंच गांव-स्तर तक आसान हो जाएगी।


स्थानीय व्यापार मंडलों और किसान संगठनों ने भी नए जिले के गठन का स्वागत किया है। उनका कहना है कि इससे किसानों की उपज के विपणन, सिंचाई परियोजनाओं और सड़कों के रख-रखाव में तेजी आएगी। वहीं राजनीतिक दृष्टि से यह भाजपा के लिए एक भावनात्मक फैसला माना जा रहा है, क्योंकि कल्याण सिंह को राम मंदिर आंदोलन के नायक और हिन्दू गौरव के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।


अंततः यदि सब कुछ नियमानुसार आगे बढ़ता है, तो आने वाले महीनों में उत्तर प्रदेश का नक्शा एक बार फिर बदल जाएगा — और “कल्याण सिंह नगर” के रूप में प्रदेश को मिलेगा एक नया जिला, जो विकास और श्रद्धा दोनों का प्रतीक बनेगा।

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