तेजस्वी यादव को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का मुख्यमंत्री चेहरा घोषित किया गया है, लेकिन कांग्रेस नेता उदित राज ने स्पष्ट कहा है कि वे “इंडिया ब्लॉक” यानी विपक्षी गठबंधन के मुख्यमंत्री चेहरा नहीं होंगे। उदित राज ने कहा कि तेजस्वी केवल राजद के नेता के रूप में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हो सकते हैं, लेकिन पूरे इंडिया गठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री चेहरा तय करने का अधिकार किसी एक पार्टी को नहीं है। यह निर्णय सभी सहयोगी दलों की सहमति से लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि किसी भी गठबंधन में एकतरफा निर्णय से असहमति पैदा होती है और यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ है। उनका कहना था कि अगर हर दल अपने-अपने मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री चेहरे की घोषणा करने लगे, तो गठबंधन का कोई मतलब नहीं रह जाता। इसीलिए, इंडिया ब्लॉक में इस बात पर सहमति है कि नेता का चयन संयुक्त रूप से किया जाएगा, न कि किसी एक दल द्वारा थोपे गए नाम से।
राजद ने पहले ही संकेत दे दिए हैं कि वे बिहार विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव को आगे रखेंगे। पार्टी का मानना है कि तेजस्वी ने पिछली सरकार में उपमुख्यमंत्री रहते हुए अच्छा प्रशासनिक अनुभव दिखाया और युवाओं के बीच उनकी लोकप्रियता बढ़ी है। लेकिन कांग्रेस और वाम दलों के कुछ नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री चेहरा तय करने की प्रक्रिया में सभी दलों को बराबर का योगदान मिलना चाहिए।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि उदित राज का बयान कांग्रेस की अंदरूनी रणनीति को दर्शाता है। पार्टी यह नहीं चाहती कि गठबंधन में राजद पूरी तरह से वर्चस्व कायम कर ले। कांग्रेस चाहती है कि सभी दलों की स्थिति संतुलित बनी रहे ताकि सत्ता बंटवारे या मुख्यमंत्री पद को लेकर बाद में कोई विवाद न हो।
इस बयान के बाद महागठबंधन के भीतर हलचल तेज हो गई है। राजद समर्थकों का कहना है कि तेजस्वी यादव का नेतृत्व स्वाभाविक है क्योंकि वे राज्य में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता हैं। दूसरी ओर, कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि गठबंधन में कोई भी फैसला सर्वसम्मति से होना चाहिए।
राजनीतिक जानकारों के अनुसार, उदित राज का यह बयान भले ही व्यक्तिगत विचार लगे, लेकिन यह कांग्रेस की केंद्रीय रणनीति का हिस्सा हो सकता है, ताकि बिहार चुनाव से पहले सीट बंटवारे और नेतृत्व की बातचीत में कांग्रेस की स्थिति मजबूत रहे। वहीं, भाजपा खेमे में इस बयान को लेकर खुशी है, क्योंकि विपक्षी गठबंधन के भीतर मतभेद उनके लिए चुनावी रणनीति का फायदा बन सकते हैं।
राजनीतिक तौर पर यह बयान बताता है कि बिहार में सत्ता की लड़ाई सिर्फ एनडीए और महागठबंधन के बीच नहीं, बल्कि महागठबंधन के भीतर नेतृत्व की दिशा को लेकर भी है। तेजस्वी यादव को जहां एक तरफ युवा और परिवर्तन की राजनीति के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है, वहीं कांग्रेस जैसी पुरानी पार्टी चाहती है कि सत्ता की कमान साझा समझौते से तय हो।
संक्षेप में, उदित राज का बयान यह संकेत देता है कि विपक्षी गठबंधन में एकता की तस्वीर जितनी बाहर से दिखती है, अंदर से उतनी सरल नहीं है। तेजस्वी को मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करने की जल्दबाजी महागठबंधन के भीतर नए समीकरण और संभावित दरारों की शुरुआत भी हो सकती है।
