01 दिसम्बर 2025 बिहार की राजनीति और लोकतंत्र के लिए ऐतिहासिक साबित होने जा रहा है। अष्टादश बिहार विधान सभा का प्रथम सत्र न सिर्फ नए जनप्रतिनिधियों के लिए एक नई पारी की शुरुआत है, बल्कि सूबे के भविष्य की नीतियों और विकास योजनाओं की दिशा भी तय करेगा। विधानसभा सचिवालय ने इस सत्र का औपबंधिक कार्यक्रम जारी कर यह संकेत दिया है कि आगामी पांच दिनों में महत्वपूर्ण संसदीय परंपराओं के साथ कई अहम प्रक्रियाएं पूरी होगी।
1 दिसम्बर 2025 - नवनिर्वाचित सदस्यों की शपथ
सत्र की शुरुआत 1 दिसम्बर को नवनिर्वाचित विधायकों के शपथ ग्रहण से होगी। यह वह क्षण होता है जब जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि संविधान के प्रति निष्ठा और कर्तव्यपालन की औपचारिक प्रतिज्ञा करते हैं। विधानसभा के भीतर यह दृश्य लोकतांत्रिक मूल्यों की सुदृढ़ता को अभिव्यक्त करता है।
2 दिसम्बर 2025 - विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव
दूसरे दिन विधानसभा अध्यक्ष के निर्वाचन की प्रक्रिया पूरी होगी। अध्यक्ष सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से संचालित करने और विधायी कार्यों में संतुलन बनाए रखने का दायित्व निभाते हैं। इसलिए इस पद का चुनाव अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। नए अध्यक्ष से अपेक्षा होगी कि वे सभी दलों के बीच सौहार्दपूर्ण माहौल बनाते हुए सदन को नई ऊर्जा प्रदान करें।
3 दिसम्बर 2025 - राज्यपाल का अभिभाषण और विधायी कार्य
तीसरे दिन सुबह 11:30 बजे दोनों सदनों की संयुक्त बैठक सेन्ट्रल हॉल में आयोजित होगी, जिसमें माननीय राज्यपाल अभिभाषण देंगे। यह अभिभाषण सरकार की नीतियों, प्राथमिकताओं और आगामी वर्ष के विकास एजेंडे का परिचय कराता है।
इसी दिन राज्यपाल द्वारा जारी अध्यादेशों की प्रतियां भी सभा पटल पर रखी जाएंगी, साथ ही द्वितीय अनुपूरक व्यय विवरणी प्रस्तुत की जाएगी। यदि किसी सदस्य के निधन या किसी विशेष दुखद घटना पर शोक-प्रकाश आवश्यक होगा तो वह भी किया जाएगा।
4 दिसम्बर 2025 - धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा
चौथे दिन राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर वाद-विवाद होगा। यह वह समय होता है जब सभी दल अपनी राय रखते हैं, सरकार की प्राथमिकताओं पर प्रश्न उठाते हैं और अपनी अपेक्षाएं दर्ज कराते हैं। सरकार की ओर से इस प्रस्ताव पर विस्तृत उत्तर भी दिया जाएगा।
5 दिसम्बर 2025 - अनुपूरक व्यय विवरणी पर चर्चा और मतदान
सत्र के पांचवें दिन द्वितीय अनुपूरक व्यय विवरणी पर चर्चा कर उसे मतदान के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। इसके बाद विनियोग विधेयक भी पारित किया जाएगा, जो सरकार को निर्धारित अवधि के लिए धन खर्च करने की संवैधानिक अनुमति देता है।
