दिल्ली में हर साल सर्दियों के मौसम के साथ बढ़ता प्रदूषण एक गंभीर संकट बन चुका है। हवा में घुला जहर न सिर्फ लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि राजधानी को धुंध की चादर में भी ढक देता है। इस साल भी स्थिति चिंताजनक होती देख दिल्ली सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। बढ़ते वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने और ट्रैफिक के दबाव को कम करने के उद्देश्य से सरकार ने सर्दियों के लिए दफ्तरों के समय में बदलाव की घोषणा की है।
दिल्ली सरकार के मुताबिक, अब राज्य सरकार के कार्यालय सुबह 10:00 बजे से शाम 6:30 बजे तक चलेंगे। वहीं नगर निगम (एमसीडी) के कार्यालय सुबह 8:30 बजे से शाम 5:00 बजे तक खुले रहेंगे। यह नई व्यवस्था 15 नवंबर 2025 से 15 फरवरी 2026 तक लागू रहेगी। यानि लगभग तीन महीनों तक यह प्रयोग राजधानी में देखने को मिलेगा।
विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली में प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण वाहनों से निकलने वाला धुआं है। सुबह और शाम के वक्त जब लोग दफ्तरों के लिए निकलते हैं या लौटते हैं, तब सड़कों पर ट्रैफिक का दबाव बढ़ जाता है। हजारों वाहनों के एक साथ चलने से हवा में धूल और धुआं घुलने लगता है, जिससे पीएम 2.5 और पीएम 10 कणों का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ जाता है।
सरकार ने माना है कि अलग-अलग समय पर दफ्तर खुलने से ट्रैफिक की भीड़ कम होगी, जिससे वाहनों का प्रदूषण स्तर घटेगा और हवा में कुछ सुधार देखने को मिलेगा।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, सर्दियों में दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) अक्सर 400 से ऊपर पहुंच जाता है, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। इस दौरान सांस संबंधी बीमारियों, आंखों में जलन, और गले की समस्याएं तेजी से बढ़ती हैं।
इसके अलावा, पराली जलाने, ठंड में बढ़े डीजल जेनरेटरों के प्रयोग और मौसम के स्थिर होने से हवा का प्रवाह धीमा पड़ जाता है। इन सब कारणों से प्रदूषण लंबे समय तक बना रहता है।
सरकार के इस कदम से उम्मीद है कि ट्रैफिक के पीक ऑवर्स (Peak Hours) में फर्क आएगा। जब दो बड़े विभागों के दफ्तरों के खुलने और बंद होने के समय में अंतर होगा, तो सड़कों पर एक साथ वाहनों की भीड़ नहीं होगी।
इससे जहां कर्मचारियों को सफर में आसानी होगी, वहीं पर्यावरण पर भी सकारात्मक असर देखने को मिल सकता है।
दिल्ली सरकार ने नागरिकों से भी अपील की है कि वे कारपूलिंग, सार्वजनिक परिवहन और साइकिल का इस्तेमाल बढ़ाएं। साथ ही, जहां संभव हो, वर्क फ्रॉम होम या फ्लेक्सी टाइम की व्यवस्था अपनाने की सलाह दी गई है।
राजधानी में प्रदूषण अब केवल एक पर्यावरणीय मुद्दा नहीं है, बल्कि जनस्वास्थ्य का संकट बन चुका है। सरकार का यह कदम एक सराहनीय पहल है, जो न सिर्फ हवा को साफ रखने में मदद करेगा, बल्कि दिल्ली के जीवन स्तर में भी सुधार लाने की दिशा में एक नई शुरुआत हो सकती है। अगर नागरिक भी इसमें भागीदारी निभाएं, तो यह सर्दी दिल्ली वालों के लिए कुछ हद तक राहतभरी साबित हो सकती है।
