बॉलीवुड की चर्चित कानूनी कॉमेडी-ड्रामा फ्रेंचाइजी जॉली एलएलबी का तीसरा अध्याय फिर से दर्शकों के बीच धमाल मचा रहा है। थिएटर हिट होने के बाद अब यह फिल्म ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध है, जहां दर्शक इसे बड़े उत्साह के साथ देख रहे हैं। इस बार कहानी न केवल मनोरंजन करती है, बल्कि ग्रामीण भारत के जमीन विवाद और किसानों के संघर्ष जैसे संवेदनशील विषयों को भी उजागर करती है।
जॉली एलएलबी 3 की कहानी उस गंभीर मुद्दे पर केंद्रित है, जिसमें एक उद्योगपति गांव की उपजाऊ जमीनों पर कब्जा कर अपने सपनों का साम्राज्य खड़ा करना चाहता है। किसानों की पीड़ा, मजबूरी और संघर्ष को बड़े ही प्रभावशाली ढंग से दिखाया गया है। इस मुद्दे के खिलाफ जानकी नाम की एक साहसी महिला सामने आती है। वह न केवल आवाज उठाती है, बल्कि अपने हक के लिए अदालत का दरवाज़ा भी खटखटाती है।
फिल्म में अक्षय कुमार और अरशद वारसी एक बार फिर अपने-अपने अंदाज़ में चमकते हैं। दोनों की कोर्टरूम नोकझोंक, तर्क-वितर्क और हास्य से भरे संवाद फिल्म को और रोचक बनाता है। अदालत में उठता हर सवाल, हर बहस और हर मोड़ दर्शकों को बांधे रखता है।
सौरभ शुक्ला हमेशा की तरह दमदार जज की भूमिका में नजर आते हैं। उनके संवाद, अदालती गुस्सा और हास्य का संतुलन इस फिल्म की खासियत है।
हालांकि फिल्म एक कॉमेडी-ड्रामा है, लेकिन इसकी पटकथा किसानों की वास्तविक समस्याओं और जमीन कब्जा माफियाओं की हकीकत को दिखाने में सफल रही है। जिस संवेदनशीलता के साथ किसान-उद्योगपति टकराव को पर्दे पर उठाया गया है, वह दर्शकों को सोचने पर मजबूर करता है।
सुभाष कपूर का निर्देशन कहानी को मजबूती देता है। उन्होंने ड्रामा, हास्य और सामाजिक संदेश, तीनों को बांधकर एक ऐसी फिल्म पेश की है जो मनोरंजक भी है और सार्थक भी। कोर्टरूम के दृश्य हों या गांव की मिट्टी की खुशबू से भरे दृश्य, हर फ्रेम में वास्तविकता झलकती है।
अक्षय कुमार कि गंभीरता और हास्य का अनोखा मेल है। अरशद वारसी कि स्वाभाविक कॉमिक टाइमिंग है। सौरभ शुक्ला का न्याय की टोपी में दमदार उपस्थिति है। हुमा कुरैशी और अमृता राव कि भावनाओं को मजबूती देने वाली भूमिका है।
जॉली एलएलबी 3 सिर्फ एक मजेदार कोर्टरूम ड्रामा नहीं है, बल्कि एक ऐसी कहानी है जो किसानों की आवाज को बुलंद करती है। यह फिल्म न्याय, संघर्ष, भ्रष्टाचार और आम आदमी की जद्दोजहद को हल्के-फुल्के अंदाज में सामने लाती है।
