प्रकृति ने धरती को असंख्य रंगों और रूपों से सजाया है, जिसमें से कुछ इतने दुर्लभ हैं कि उन्हें देखना किसी सौभाग्य से कम नहीं होता है। ऐसा ही एक फूल है ‘पैरट फ्लावर’, जिसे वैज्ञानिक भाषा में इम्पेशन्स सिटासिना (Impatiens psittacina) कहा जाता है। यह फूल अपने अनोखे आकार और रंगों की वजह से दुनिया के सबसे दुर्लभ और रहस्यमयी फूलों में गिना जाता है।
“पैरट फ्लावर” मुख्य रूप से थाईलैंड, म्यांमार और भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों के कुछ सीमित इलाकों में पाया जाता है। इन स्थानों की जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियाँ इस फूल के लिए अत्यंत उपयुक्त माना जाता है। यह ऊँचाई वाले नम क्षेत्रों में उगता है, जहाँ मिट्टी में नमी और तापमान का संतुलन बना रहता है।
‘पैरट फ्लावर’ नाम इसकी आकृति से प्रेरित है। जब यह फूल पूरी तरह खिलता है, तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे कोई रंगीन तोता अपने पंख फैलाकर उड़ान भरने को तैयार हो। इसकी बनावट में तोते का सिर, चोंच और पंखों की आकृति स्पष्ट दिखाई देता है। यह गुलाबी, बैंगनी और सफेद रंगों के मिश्रण में खिलता है, जो इसे और अधिक आकर्षक बनाता है। कई बार लोग इसे देखकर सच में भ्रमित हो जाते हैं कि यह कोई जीवित पक्षी है या फूल।
“पैरट फ्लावर” की एक और खासियत यह है कि यह साल में केवल कुछ ही हफ्तों के लिए खिलता है, आमतौर पर अक्टूबर से दिसंबर के बीच। यही वजह है कि इसे ‘सीजनल मिरेकल’ कहा जाता है। यह फूल न सिर्फ देखने में सुंदर है बल्कि यह स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा भी है।
जब “पैरट फ्लावर” की तस्वीरें पहली बार इंटरनेट पर सामने आईं, तो कई लोगों ने इसे ‘फोटोशॉप’ या नकली बताया। लेकिन बाद में वैज्ञानिकों ने इस फूल की असल मौजूदगी की पुष्टि की और इसके संरक्षण पर ध्यान देना शुरू किया। थाईलैंड सरकार ने तो इसके निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा रखा है ताकि यह दुर्लभ प्रजाति लुप्त न हो जाए।
यह फूल मधुमक्खियों, तितलियों और अन्य परागण करने वाले जीवों को आकर्षित करता है। इस प्रकार यह जैव विविधता और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। पैरट फ्लावर इस बात का जीवंत उदाहरण है कि प्रकृति किस तरह अद्भुत और सूक्ष्म कलाकारी के माध्यम से सुंदरता और उपयोगिता का संगम बनाता है।
