शिवसेना (यूबीटी) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने अपनी गंभीर बीमारी का खुलासा किया है। इस बयान से राजनीतिक हलकों के साथ आम लोगों को भी चिंतित कर दिया है। उन्होंने बताया है कि वे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं और उनका इलाज जारी है। डॉक्टरों ने उन्हें फिलहाल सार्वजनिक मुलाकातों से दूर रहने की सलाह दी है। यह खबर किसी राजनीतिक बयान जैसी नहीं लगी है, बल्कि जीवन की नाजुकता की याद दिलाने वाली थी।
सत्ता के गलियारों में अक्सर आवाजें तेज होती हैं, लेकिन बीमारी किसी के लिए आवाज नहीं बढ़ाती। वह चुपचाप आती है, और इंसान को पल भर में अपने अस्तित्व के सामने खड़ा कर देती है। संजय राउत जैसे मुखर और सक्रिय नेता का इस तरह रुक जाना मानो तेज दौड़ती ट्रेन अचानक शांत स्टेशन पर रुक गई हो।
इस बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी संजय राउत के स्वास्थ्य लाभ की कामना की। यह शुभेच्छा राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर आई और यही लोकतंत्र की सुंदरता है। चुनौतियों और टकरावों के बीच भी संवेदनाएं जीवित रहती हैं। राजनीति बहस की जगह है, पर बीमारी इंसान की स्थिति है। यह पल उसी मानवीय जुड़ाव का था।
संजय राउत हमेशा अपने तीखे बयान और बेबाक राजनीति के लिए चर्चा में रहते हैं। अडिग, सीधी बात करने वाले और कभी पीछे न हटने वाले नेता के लिए यह दौर मानसिक रूप से भी कठिन होगा। लेकिन ऐसे समय में असली ताकत वही होती है जो व्यक्ति अपने भीतर पाले, और राउत ने अपनी राजनीतिक यात्रा में कई उतार चढ़ाव देखे हैं। यह परिस्थितियां उन्हें कमजोर नहीं, बल्कि और अधिक धैर्यवान बनाएंगी।
फिलहाल उनकी पार्टी और समर्थक प्रार्थना में खड़े हैं। सोशल मीडिया पर शुभकामनाओं का सिलसिला जारी है। विरोधी भी इस समय तलवारें नीचे रखकर दुआ मांग रहे हैं। क्योंकि बीमारी किसी दल का झंडा नहीं देखती, किसी मंच का माइक नहीं सुनती। वह सिर्फ शरीर और मन की सहनशक्ति की परीक्षा लेती है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे समय आराम और इलाज ही सर्वोपरि हैं। जनता और राजनीतिक साथियों को भी उनकी निजता और शांत माहौल की जरूरत समझनी चाहिए। जब नेता उर्जा और आवाज से पहचाना जाए, तो उसकी खामोशी और ज्यादा बोलती है।
किस्मत और विज्ञान दोनों साथ रहें, यही कामना है। राजनीति की राह लंबी है, और उम्मीद है कि संजय राउत जल्द फिर उसी जोश के साथ लौटें। फिलहाल समय है स्वस्थ होने का, मजबूत रहने का और यह विश्वास करने का कि हर कठिन रात के बाद सुबह जरूर आती है।
