बिहार ने एक बार फिर लोकतंत्र का उत्सव मनाया। विधानसभा चुनाव 2025 में रिकॉर्ड तोड़ वोटिंग ने पूरे देश का ध्यान खींच लिया है। सुबह से ही मतदान केंद्रों पर लंबी कतारें, महिलाओं की भागीदारी और युवाओं का जोश, सबने मिलकर इस चुनाव को ऐतिहासिक बना दिया। राज्य में लगभग 70 से 72 प्रतिशत तक वोटिंग हुई, जो बीते दो चुनावों की तुलना में काफी अधिक है। यही वजह है कि हर दल अब अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहा है। सत्ता पक्ष इसे “विकास की लहर” बता रहा है, तो विपक्ष “बदलाव की बयार” कह रहा है।
मतदान के तुरंत बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि “बिहार के लोगों ने बदलाव के लिए वोट किया है। लिख कर रख लीजिए, हम 18 नवम्बर को शपथ लेंगे और बिहार में नौकरी वाली सरकार बनाएंगे।” उन्होंने एग्जिट पोल को “पेड” बताते हुए कहा कि यह सत्ता के दबाव में तैयार किए गए हैं। तेजस्वी यादव का आत्मविश्वास साफ झलक रहा था। उन्होंने हर जिले से फीडबैक मिलने का दावा किया और कहा कि हर जगह से “सकारात्मक माहौल” की खबर है। सोशल मीडिया पर उनका “NaukriWaliSarkar” नारा वायरल हो गया है। युवाओं ने इसे हाथों-हाथ लिया और कहा कि वे इस बार रोजगार के नाम पर वोट दे चुके हैं।
वहीं एनडीए खेमे में भी उत्साह कम नहीं है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बीजेपी नेताओं का कहना है कि बिहार के लोगों ने सुशासन, विकास और स्थिरता के नाम पर मतदान किया है। उनके अनुसार, “बिहार में सड़कों, शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में जो काम हुआ है, उसी पर जनता ने भरोसा जताया है।” एनडीए को उम्मीद है कि जनता “काम के नाम” पर वोट देगी, जबकि विपक्ष को भरोसा है कि इस बार “रोजगार के नाम” पर फैसला होगा।
इस बार महिलाओं की भागीदारी ने नया रिकॉर्ड बनाया है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, कई जिलों में महिलाओं ने पुरुषों से अधिक मतदान किया है। ग्रामीण इलाकों में महिलाओं ने कहा है कि वे ऐसी सरकार चाहती हैं जो “रोजगार दे, महंगाई कम करे और गांव में विकास लाए।”
युवा मतदाताओं की संख्या भी बड़ी रही है। कॉलेजों और कोचिंग सेंटरों में चर्चा यही थी कि “अब हमें नौकरी चाहिए, नारे नहीं।” तेजस्वी यादव का “नौकरी वाली सरकार” वाला वादा युवाओं की उम्मीदों का केंद्र बन गया है।
मतदान के दौरान ही जब एग्जिट पोल आने लगे तो विपक्ष ने सवाल उठाए। तेजस्वी ने कहा कि “मतदाता कतार में खड़ा था और उसी समय चैनलों ने सर्वे दिखाना शुरू कर दिया। यह जनता को भ्रमित करने की कोशिश है।”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार का माहौल इतना जटिल है कि किसी भी सर्वे पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं किया जा सकता है। ग्राउंड रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पर जनता की राय एग्जिट पोल से काफी अलग दिखाई दे रही है।
बिहार की राजनीति हमेशा जातीय समीकरणों पर टिकी रही है, पर इस बार हवा कुछ अलग है। युवा और पहली बार वोट डालने वाले मतदाताओं ने मुद्दों पर ध्यान दिया है जैसे रोजगार, शिक्षा, और पलायन की समस्या। यह नई सोच बिहार की राजनीति को एक नए युग में ले जा सकती है।
सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही अपने-अपने दावे कर रहे हैं, पर जनता अब सियासी बयानों से आगे बढ़ चुकी है। वह इंतजार कर रही है उस सुबह का, जब सच में “नौकरी वाली सरकार” बनेगी या फिर एक बार फिर “विकास की सरकार” को मौका मिलेगा।
जो भी नतीजा आए, यह तय है कि इस बार बिहार ने लोकतंत्र को और गहराई से जिया है। हर वर्ग, हर उम्र और हर विचार ने मतदान में अपनी भूमिका निभाई है। तेजस्वी का आत्मविश्वास, नीतीश का अनुभव और जनता की उम्मीदें, ये तीनों मिलकर तय करेंगे कि बिहार की राजनीति किस दिशा में बढ़ेगी।
