नीलाम्बी सौंदर्य की मिसाल है - रहस्यमयी ‘सफायर टारेंटुला’

Jitendra Kumar Sinha
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दुनिया में अनेक ऐसी मकड़ी प्रजातियाँ पाई जाती हैं जो अपने अनोखे रंग, आकार और व्यवहार के कारण लोगों को चकित कर देती हैं। इन्हीं दुर्लभ और बेहद आकर्षक प्रजातियों में से एक है “सफायर टारेंटुला” (Sapphire Tarantula), जिसे उसके अनोखे नीलाम्बी नीले रंग के कारण दुनिया भर में खास पहचान मिली है। यह मकड़ी न केवल अपने रंग–रूप में अद्वितीय है, बल्कि अपने शांत स्वभाव, रहस्यमयी चाल और चमकदार पैरों की वजह से भी कलेक्टर्स और शोधकर्ताओं के बीच काफी लोकप्रिय है।

“सफायर टारेंटुला” का सबसे मनमोहक पहलू उसका चमकदार नीला और बैंगनी रंग है। इसके पूरे शरीर और पैरों पर नीले रंग की ऐसी झिलमिलाहट दिखाई देती है जैसे किसी ने उस पर माणिक्य या नीलम की चमक बिखेर दी हो। प्रकाश के पड़ने पर इसका रंग और भी ज्यादा चमकदार एवं जीवंत हो उठता है। जब यह “सफायर टारेंटुला”  तेजी से चलता है, तो पैरों में मौजूद नीली-बैंगनी चमक लहरों की तरह हिलती दिखती है, जैसे कोई कीमती रत्न जीवित होकर चल रहा हो।

यह “सफायर टारेंटुला” मुख्यतः दक्षिण–पूर्व एशिया के घने उष्णकटिबंधीय जंगलों में पाया जाता है। छिपकर रहने की प्रवृत्ति और सीमित वितरण क्षेत्र के कारण यह अत्यंत दुर्लभ माना जाता है। यही वजह है कि यह आज भी शोध, वाइल्डलाइफ डॉक्यूमेंट्री और संरक्षण अभियानों में एक महत्वपूर्ण विषय बना हुआ है।

भले ही इसका रंग तेज और आकर्षक हो, लेकिन स्वभाव से यह “सफायर टारेंटुला” काफी शांत, चुपचाप और एकांतप्रिय होता है। यह पेड़ों पर रहना पसंद करता है और रात के समय अधिक सक्रिय रहता है। अपने रहने का छोटा सा सुरक्षात्मक जाल और छिपने की जगह बनाकर यह अधिकांश समय उसी में बिताता है। खतरा महसूस होने पर यह बहुत तेजी से पीछे हटता है और आक्रमण तभी करता है जब खुद को बचाने का कोई दूसरा रास्ता न हो।

इस मकड़ी के नीले रंग का रहस्य केवल पिगमेंट नहीं है, बल्कि ‘स्ट्रक्चरल कलरिंग’ नामक एक अद्भुत प्राकृतिक प्रक्रिया है। शरीर की सतह पर मौजूद सूक्ष्म संरचनाएँ प्रकाश को इस तरह परावर्तित करती हैं कि नीला रंग बेहद चमकदार दिखाई देता है। यह प्रकृति का एक अद्भुत चमत्कार है जिसे समझने के लिए वैज्ञानिक लगातार अध्ययन कर रहे हैं।

तेजी से घटते जंगल, अवैध पालतू व्यापार और प्राकृतिक आवास के नष्ट होने से इस मकड़ी की संख्या लगातार कम हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इसके आवास को संरक्षित नहीं किया गया, तो आने वाले समय में यह प्रजाति और अधिक दुर्लभ हो जाएगी। इसलिए इसके संरक्षण, संवर्धन और जागरूकता को बढ़ाना आवश्यक है।

“सफायर टारेंटुला” प्रकृति की एक जीवित कला-कृति है, जो अपनी चमक, रंग और रहस्यमयी सुंदरता से हर किसी को मोह लेती है। यह सिर्फ एक मकड़ी नहीं, बल्कि जंगलों में छिपी एक नीली रत्न-सी पहचान है। इसकी सुंदरता यह साबित करती है कि प्रकृति में अनगिनत ऐसे जीव छिपे हुए हैं जिनकी दुर्लभता और विशिष्टता हमारी कल्पनाओं से कहीं अधिक है।



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