कश्मीरी किसानों ने बनाया देश का पहला - “लैवेंडर शहद”

Jitendra Kumar Sinha
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कश्मीर की वादियों में इन दिनों केवल प्राकृतिक सुंदरता ही नहीं, बल्कि नई उम्मीदों की महक भी फैल रही है। पुलवामा, बडगाम और बारामुला के 80 से अधिक किसानों ने मिलकर भारत का पहला लैवेंडर हनी (Lavender Honey) तैयार कर एक नया इतिहास रच दिया है। यह शहद न सिर्फ अपनी अनोखी खुशबू और औषधीय गुणों के लिए चर्चित है, बल्कि किसानों के जीवन में आर्थिक समृद्धि की नई राह भी खोल रहा है।

कश्मीर में लंबे समय से सेब और अखरोट की खेती किसानों की मुख्य आय थी। लेकिन बाजार में कीमतों में उतार-चढ़ाव और बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच स्थायी आय की चुनौती थी। ऐसे समय में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन (IIIM) की पहल ने किसानों को नई दिशा दी। संस्था ने 180 किसानों को लैवेंडर की वैज्ञानिक खेती और मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण दिया।

इन किसानों ने अपने-अपने खेतों में मधुमक्खी पालन शुरू किया। चूंकि मधुमक्खियां आसपास के फूलों से रस इकट्ठा करती हैं, इसलिए लैवेंडर के फूलों की महक और पराग ने शहद को पूरी तरह अलग स्वाद और गुणवत्ता दी। इसी तरह धीरे-धीरे तैयार हुआ देश का पहला “लैवेंडर शहद”।

लैवेंडर शहद दुनिया के चुनिंदा देशों में बनता है। कश्मीर में बना यह शहद अपनी शुद्धता और प्राकृतिक सुगंध के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तुरंत लोकप्रिय हो गया। वर्तमान में इसकी कीमत 6000 से 12000 रुपये प्रति किलो तक है, जो इसे भारत के सबसे प्रीमियम शहदों में शामिल करती है।

पहले चरण में कुल 120 किलो शहद निकाला गया, जिसने किसानों में उत्साह भर दिया। असली आकर्षण इसकी खूशबू, हल्का बैंगनी आभा और औषधीय गुण हैं, जो इसे सामान्य शहद से अलग बनाता है।

हाल के वर्षों में कश्मीर को ‘लैवेंडर घाटी’ के नाम से भी पहचान मिल रही है। यह बदलाव केवल खेती तक सीमित नहीं है, बल्कि यह क्षेत्र के युवाओं के लिए रोजगार और उद्यमिता के नए अवसर खोल रहा है। लैवेंडर की खेती में पानी की कम जरूरत होती है, लागत कम आती है और बाजार में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है।

किसानों का कहना है कि इस पहल ने उनकी आय में उल्लेखनीय वृद्धि की है। अब वे पारंपरिक खेती पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहे। यह मॉडल आने वाले समय में देश के अन्य पहाड़ी क्षेत्रों के लिए भी प्रेरणा बन सकता है।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन ने लैवेंडर शहद की गुणवत्ता और शुद्धता की पुष्टि की है। इससे बाजार में इस प्रोडक्ट की विश्वसनीयता बढ़ी है और अंतरराष्ट्रीय खरीदारों का ध्यान भी कश्मीर की ओर आकर्षित हुआ है।

कश्मीर के इन किसानों ने दिखा दिया कि सही मार्गदर्शन, नई तकनीक और मेहनत से कृषि को आय का शक्तिशाली स्रोत बनाया जा सकता है। लैवेंडर की खुशबू से भरा यह शहद न केवल स्वाद में अनोखा है, बल्कि यह किसानों की बदलती सोच और आत्मनिर्भरता की कहानी भी बयान करता है।



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