भारत के इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाते हुए एलन मस्क की कंपनी टेस्ला आखिरकार अपना पहला ‘टेस्ला सेंटर’ खोलने जा रही है। यह सेंटर 26 नवंबर को गुरुग्राम के ऑर्किड बिजनेस पार्क में लॉन्च होगा। लंबे समय से भारत में टेस्ला के प्रवेश को लेकर चर्चाएं चल रही थीं, जिन्हें अब वास्तविक रूप मिलता दिखाई दे रहा है। इस कदम के साथ भारत, टेस्ला का 50वां वैश्विक बाजार बन गया है।
टेस्ला ने भारत में अपनी लोकप्रिय एसयूवी मॉडल वाई के दो वेरिएंट पेश किया है। फिलहाल इन दोनों मॉडलों को पूरी तरह से चीन से आयात किया जा रहा है। भारत में इसकी शुरुआती कीमत रखी गई है ₹59.89 लाख (एक्स-शोरूम)।
हालांकि, भारत में इलेक्ट्रिक कारों पर 70% आयात शुल्क लागू होने के कारण, टेस्ला मॉडल वाई दुनिया में सबसे महंगे संस्करणों में शामिल हो गया है। अमेरिकी बाजार की तुलना में इसकी कीमत लगभग 30% अधिक है। इसके बावजूद, भारत में लक्जरी ईवी सेगमेंट में इसकी मांग स्थिर बनी हुई है।
फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) के आंकड़ों के अनुसार, सितंबर और अक्टूबर, केवल दो महीनों में टेस्ला ने 104 मॉडल वाई कारें बेची है।
यह आंकड़ा भारतीय बाजार में प्रीमियम इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती स्वीकृति को दर्शाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि गुरुग्राम में पहला टेस्ट सेंटर खुलने के बाद बिक्री और बढ़ेगी, क्योंकि इससे ग्राहकों को कार का लाइव अनुभव लेने का मौका मिलेगा।
गुरुग्राम, देश के सबसे बड़े कॉर्पोरेट और टेक हब में से एक है। यहां टेस्ला का सेंटर खुलने से कई फायदे होंगे। संभावित खरीदारों को टेस्ट ड्राइव और तकनीक की बेहतर समझ। आफ्टर-सेल्स सपोर्ट और मेंटेनेंस की सुविधा। टेस्ला ब्रांड की दृश्यता और भरोसे में इजाफा। यह टेस्ट सेंटर न सिर्फ बिक्री बढ़ाएगा, बल्कि भारत में ईवी इकोसिस्टम को भी मजबूत करेगा।
भारत सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। ऐसे में टेस्ला का प्रवेश कई मायनों में महत्वपूर्ण है, प्रीमियम ईवी सेगमेंट में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। बेहतर चार्जिंग टेक्नोलॉजी और इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास तेज होगा। अन्य वैश्विक ईवी कंपनियों को भी भारत में प्रवेश करने की प्रेरणा मिलेगी और भारतीय उपभोक्ताओं को दुनिया की टॉप इलेक्ट्रिक गाड़ियों का अनुभव मिलेगा।
टेस्ला संभवतः आने वाले समय में इंडिया में लोकल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने का विकल्प भी तलाश सकती है। यदि ऐसा होता है तो कारों की कीमत कम हो सकती है, साथ ही भारत टेस्ला के वैश्विक सप्लाई चेन का हिस्सा बन सकता है।
