बिहार की राजनीति एक बार फिर सुर्खियों में है। मोकामा विधानसभा क्षेत्र के जेडीयू उम्मीदवार और बाहुबली छवि वाले नेता अनंत सिंह को पुलिस ने दुलारचंद यादव हत्याकांड में गिरफ्तार कर लिया है। यह मामला न केवल एक हत्या का, बल्कि बिहार की चुनावी राजनीति में शक्ति, प्रतिष्ठा और प्रतिशोध के खेल का प्रतीक बन गया है।
मोकामा, जो दशकों से अनंत सिंह के प्रभाव वाला इलाका माना जाता है, एक बार फिर तनाव की चपेट में है। आरोप है कि दुलारचंद यादव, जो क्षेत्र में अनंत सिंह के पुराने विरोधी माने जाते थे, की हत्या सुनियोजित तरीके से की गई। बताया जा रहा है कि दुलारचंद यादव हाल के दिनों में स्थानीय राजनीति में सक्रिय हो गए थे और अनंत सिंह की पकड़ को चुनौती देने लगे थे।
घटना के बाद पुलिस ने अनंत सिंह को पूछताछ के लिए बुलाया, लेकिन जांच के दौरान पर्याप्त सबूत मिलने पर उन्हें हिरासत में ले लिया गया। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, कुछ चश्मदीदों के बयान और कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स (CDR) ने मामले की दिशा बदल दी। हालांकि, अनंत सिंह के समर्थक इसे राजनीतिक साजिश बता रहे हैं और कह रहे हैं कि चुनाव से ठीक पहले यह गिरफ्तारी विपक्षी दलों के दबाव में की गई है।
जेडीयू के भीतर भी इस घटना ने हलचल मचा दी है। पार्टी नेतृत्व को अब बचाव और जवाब देने दोनों मोर्चों पर उतरना पड़ रहा है। विपक्ष ने इसे “कानून व्यवस्था की नाकामी” बताते हुए सीधे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सवाल उठाए हैं। राजद और कांग्रेस नेताओं ने कहा है कि “अगर सत्ता में बैठे लोगों के उम्मीदवार ही हत्या के आरोपी होंगे, तो जनता न्याय की उम्मीद किससे रखे?”
मोकामा में माहौल तनावपूर्ण है। प्रशासन ने एहतियातन भारी पुलिस बल तैनात किया है। गांवों में अफवाहें और भय दोनों फैले हैं। कई स्थानों पर इंटरनेट सेवा भी कुछ समय के लिए बाधित कर दी गई ताकि झूठी खबरें न फैलें।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह मामला बिहार की चुनावी राजनीति में एक निर्णायक मोड़ बन सकता है। अनंत सिंह, जिन्हें जनता में “छोटे सरकार” के नाम से जाना जाता है, ने हमेशा खुद को जनता का मसीहा बताया है। लेकिन अब उन पर लगा यह आरोप उनकी राजनीतिक यात्रा के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है।
राजनीति में अपराध की भूमिका कोई नई बात नहीं है, लेकिन हर बार ऐसा मामला जनता को यह सोचने पर मजबूर कर देता है कि क्या बिहार कभी उन दिनों से आगे बढ़ पाएगा जब राजनीति और आपराधिक शक्ति एक ही सिक्के के दो पहलू थे।
इस घटना ने यह भी साबित कर दिया है कि बिहार की राजनीति में अब भी “डर और दबदबे” की संस्कृति पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अनंत सिंह अपने ऊपर लगे आरोपों से खुद को निर्दोष साबित कर पाएंगे या यह गिरफ्तारी उनके राजनीतिक करियर का निर्णायक अंत बन जाएगी।
