नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण को लेकर बिहार में फिर से राजनीतिक हलचल तेज है। चुनावी नतीजों के बाद पटना में माहौल ऐसा बना है कि नीतीश कुमार एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं और सत्ता की कमान उनके हाथ में जाने की पूरी संभावना दिख रही है। लंबे समय से बिहार की राजनीति का केंद्र रहे नीतीश कुमार को अनुभव, प्रशासनिक पकड़ और गठबंधन प्रबंधन में माहिर माना जाता है, इसलिए सत्ता परिवर्तन की हर हलचल में उनकी भूमिका स्वाभाविक रूप से सबसे आगे रहती है। पार्टी के अंदर और सहयोगी दलों में भी यह विश्वास है कि स्थिर शासन और प्रशासनिक निरंतरता बनाए रखने के लिए वही सबसे उपयुक्त चेहरा हैं।
इसी बीच राज्यपाल की ओर से औपचारिक प्रक्रियाएँ भी शुरू हो चुकी हैं और शपथ ग्रहण की तारीख पर अंतिम मुहर लगने का इंतज़ार है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि सरकार गठन का खाका लगभग तैयार हो चुका है और नए मंत्रिमंडल में पुराने चेहरों के साथ कुछ नए लोगों के शामिल होने की भी संभावना है। चुनावी मुकाबले में आई चुनौतियों के बावजूद नीतीश कुमार की स्वीकार्यता, संगठन की रणनीति और राजनीतिक समीकरणों की मजबूती ने उन्हें फिर से सत्ता के केंद्र में खड़ा कर दिया है। अब पूरा राज्य इस बात पर नज़र लगाए बैठा है कि कब राजभवन में औपचारिक शपथ ग्रहण समारोह होगा और बिहार की राजनीति में एक और अध्याय की शुरुआत होगी।
