मणिपुर में नये मुख्यमंत्री होंगे या होगा राष्ट्रपति शासन?

Jitendra Kumar Sinha
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मणिपुर लगभग 21 महीने से जातीय हिंसा झेल रहा है और मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह आलोचना के शिकार रहे हैं। मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने केन्द्रीय गृहमंत्री से मुलाकात करने के बाद  09 फरवरी (रविवार) को मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को अपने पद से इस्तीफा सौंप दिया। राज्यपाल भल्ला ने इस्तीफा स्वीकार भी कर लिया। राज्यपाल भल्ला ने बीरेन सिंह को कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में बने रहने के लिए कहा। मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने अपने इस्तीफे में मणिपुर विधानसभा को निलंबित रखते हुए तीन महीने के लिए राष्ट्रपति शासन लगाने का प्रस्ताव दिया है।

बीरेन सिंह के इस्तीफा देने के पीछे कहा जा रहा है कि मणिपुर मामले को संभालने में, बीरेन सिंह पूरी तरह विफल रहे हैं और विपक्ष लगातार बीरेन सिंह का मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा की मांग कर रहा था। अब बीरेन सिंह मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है और इस्तीफे से मणिपुर के उन लोगों में राहत अनुभव होगी, जो उनसे नाखुश रह रहे थे। इस्तीफे से मणिपुर की स्थिति में बेहतरी होने का संकेत मिलता है या नहीं, फिलहाल इस संबंध में दावा करना मुश्किल है।

मणिपुर में हिंसा की शुरुआती दौर से ही बीरेन सिंह के इस्तीफे की मांग उठ रही थी। कुछ लोगों का मानना है कि मुख्यमंत्री के इस्तीफे से  राज्य के आगे की राह मुश्किल हो गई है। अतीत में मणिपुर उग्रवादी हिंसा और राष्ट्रपति शासन के लंबे दौर का गवाह रहा है। बीरेन सिंह ने मणिपुर विधानसभा को निलंबित रखने और तीन महीने के लिए राष्ट्रपति शासन लगाने का प्रस्ताव दिया है। तो क्या मणिपुर में वहीं सब दोहराया जाए‌गा? ऐसे सवालों के जवाब तो लगता है धुरंधर राजनीतिक विशेषज्ञों के पास भी नहीं होगा। 

मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद भी नहीं लग रहा है कि दोनों समुदायों के बीच बनी खटास को पाटा जा सकता है। कुकी संगठनों ने साफ कर दिया है कि बीरेन सिंह के इस्तीफे के बावजूद समस्या जस की तस ही रहेगी। मणिपुर में 3 मई, 2023 को मैतेई और कुकी समुदाय के बीच हिंसा शुरू हुई थी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार मणिपुर में अब तक हिंसा में 258 लोगों की मौत हुई है और करोड़ों की संपत्ति नष्ट हो चुका है। हिंसा के कारण विस्थापित हजारों लोग राहत शिविरों में दिन गुजारने पर मजबूर हैं। 

बीरेन सिंह के इस्तीफे से कई सवाल पैदा हो गए हैं। क्या पार्टी का शीर्ष नेतृत्व बीरेन सिंह के जगह किसी दूसरे को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपेगा या राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाएगा? जहां तक मै समझता हूं कि बीरेन सिंह के जगह अगर मणिपुर घाटी से मैतेई समुदाय का कोई दूसरा नेता मुख्यमंत्री बनता है, तो राज्य की समस्या जस का तस, ही रहेगा, इसलिए राष्ट्रपति शासन लगाना ही एकमात्र विकल्प होना चाहिए।

पार्टी नेताओं की मानें, तो केन्द्रीय नेतृत्व अगर बीरेन सिंह के जगह किसी अन्य को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपने का फैसला करता है, तो मुख्यमंत्री के दौर में विधानसभा अध्यक्ष टी सत्यव्रत सिंह और वुमनाम खेमचंद सबसे आगे हैं। वैसे, किसी नाम पर आम राय नहीं बनने की स्थिति में कुछ महीनों के लिए राष्ट्रपति शासन के विकल्प पर भी विचार किया जा सकता है। पार्टी में इस मुद्दे पर गंभीर मंथन चल रही है।

अब पूरा देश देखना चाहेगा कि यह सुंदर पर्वतीय राज्य अपनी मुश्किलों से कैसे उबरता है। 

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