एक अनूठा मंदिर है रामेश्वरदास धाम

Jitendra Kumar Sinha
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रामेश्वरदास धाम स्थित मंदिर का आधा भाग राजस्थान में और आधा भाग हरियाणा में अवस्थित है। यह मंदिर झुंझुनूं जिले के टीबा बसई गांव में है, जिसका आगे का भाग राजस्थान में और पिछला हिस्सा हरियाणा के ब्राह्मणवास गांव में है।


हरियाणा - राजस्थान सीमा के अंतिम छोर पर स्थित टीबा बसई गांव में दुग्धभागा नदी के किनारे बना हुआ है, जिसे रामेश्वरदास धाम से जाना जाता है। रामेश्वरदास धाम देश के अनूठे मंदिरों में से एक है। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि कला और वास्तुकला के मामले में भी यह एक अद्वितीय स्थल हैं। यहां सभी देवी देवताओं की मूर्तियां एक साथ स्थापित की गई है। इसमें मां अन्नपूर्णा, नव दुर्गा, लक्ष्मी, गणेश, शिव, हनुमान सहित सैकड़ों देवताओं की मूर्तियां है।


रामेश्वरदास धाम की खास बात यह है कि मंदिर में कोई नकद दान नहीं लिया जाता है। यहां आने वाले हर भक्त को मिश्री और पेड़ा का प्रसाद दिया जाता है।रामेश्वरदास धाम के मुख्यद्वार के सामने 41 फीट की विशालकाय बजरंग बली की प्रतिमा है। वहीं, शिव मंदिर में एक पत्थर से बना 10 फीट का शिवलिंग है, जो खेतड़ी उपखंड में स्थित शिव मंदिरों में सर्वाधिक बड़ा है। रामेश्वरदास धाम में एक हाथी और एक नंदी की प्रतिमा भी है, जिसकी ऊंचाई लगभग 21 फीट है।


मंदिर की दीवारों पर हजारों तैलीय चित्र बने हैं, जिनमें देवी-देवताओं, ऋषि- महात्माओं, शक्ति पीठों और नव दुर्गा के चित्र दर्शाए गए हैं। मंदिर की स्थापना रामेश्वरदास महाराज ने की थी। यह धाम बाबा रामेश्वरदास की तपोस्थली रहा है। 


मंदिर के गीता भवन में श्रीमद्भागवत गीता के 18 अध्याय शीशे पर उल्टे शब्दों में उकेरे गए हैं, जो बाहर से सीधे दिखाई देते हैं। । इस कलाकृति को देखने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं।रामेश्वरदास धाम के सम्पूर्ण मंदिर के निर्माण कार्य, मूर्तियों व भीति चित्रों, शीशे में गीता व रामायण लेखन कार्य कारीगर गजानंद कुमावत खेतड़ी वाले के निर्देशन में किया गया था।


रामनवमी के अवसर पर प्रतिवर्ष रामनवमी को मेला लगता है। मार्गशीर्ष कदी अष्टमी को बाबा रामेश्वर दास की पुण्यतिथि समारोह का आयोजन होता है। 


 

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