भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने प्रायोरिटी सेक्टर लैंडिंग (पीएसएल) यानि प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को ऋण (कर्ज) देने से जुड़े मानदंडों में संशोधन करते हुए नया दिशानिर्देश (गाइडलाइन) जारी किया है। नया दिशानिर्देश 1ली अप्रैल, 2025 से प्रभावी होगा।
भारतीय रिजर्व बैंक ने स्पष्ट किया है कि बैंक प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग श्रेणी के तहत वितरित की गई छोटी ऋण (लोन) राशियों पर ज्यादा शुल्क नहीं लगा सकता हैं। केन्द्रीय बैंक ने कहा कि 50,000 रुपए तक के ऋण (लोन) पर कोई सेवा शुल्क या निरीक्षण शुल्क नहीं लगाया जाएगा। बैंक का मकसद है छोटे-छोटे उधारकर्ताओं को अनावश्यक वित्तीय बोझ से बचाना। प्रायोरिटी सेक्टर लैंडिंग (पीएसएल) लक्ष्यों का बेहतर अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए बैंकों को तिमाही और वार्षिक आधार पर लोन से जुड़ा डेटा देना होगा।
भारतीय रिजर्व बैंक ने प्रायोरिटी सेक्टर लैंडिंग के तहत होम लोन देने की दायरा बढ़ा दिया है। नया दिशानिर्देश (गाइडलाइन) के तहत आवासीय क्षेत्र के ऋण (लोन) के लिए तीन श्रेणियां निर्धारित की गई हैं। यानि 50 लाख या इससे अधिक आबादी वाले शहरों में 50 लाख रुपए तक का होम ऋण (लोन) प्रायोरिटी सेक्टर लैंडिंग (पीएसएल) के तहत मिलेगा, जो पहले 35 लाख रुपए था।
नया दिशानिर्देश (गाइडलाइन) के तहत मकान की कीमत 63 लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए, जो पहले 45 लाख रुपए थी। 10 लाख या उससे अधिक आबादी वाले क्षेत्रों में अब 45 लाख रुपए और 10 लाख से कम आबादी वाले क्षेत्रों में 35 लाख का होम ऋण (लोन) मिलेगा। व्यक्तिगत परिवारों के लिए ऋण (लोन) सीमा ₹10 लाख निर्धारित की गई है।
नया दिशानिर्देश (गाइडलाइन) में यह भी स्पष्ट किया गया है कि बैंकों की ओर से गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) से खरीदे गए सोने के आभूषणों के बदले लिए गए ऋणों को प्राथमिकता क्षेत्र ऋण श्रेणी के अंतर्गत नहीं माना जाएगा। बैंक ऐसे ऋणों को अपने प्रायोरिटी सेक्टर लैंडिंग (पीएसएल) लक्ष्यों के हिस्से के रूप में वर्गीकृत नहीं कर सकता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि फंड उन क्षेत्रों की ओर निर्देशित हों, जिन्हें वास्तव में वित्तीय सहायता की जरूरत है।
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