पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगा बिहार का विक्रमशिला

Jitendra Kumar Sinha
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बिहार के प्राचीन शिक्षा केन्द्र विक्रमशिला को पुनर्जीवित करने की तैयारी चल रही है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई), भागलपुर के प्राचीन विक्रमशिला विश्वविद्यालय को, पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की पहल शुरू कर दिया है। विक्रमशिला विश्वविद्यालय खंडहर में तब्दील हो चुका है, इसकी अंदर और आसपास की सफाई सफाई कार्य चल रही है। विक्रमशिला को पुनर्जीवित करने के लिए संरक्षण और सुरक्षा प्रक्रिया के तहत पूरे स्थल को ग्रिड में विभाजित किया गया है।


विक्रमशिला विश्वविद्यालय में तंत्र, धर्मशास्त्र, दर्शन, व्याकरण, तत्व मीमांसा और तर्क जैसे विषय पढ़ाए जाते थे। यह चार शताब्दियों तक समृद्ध रहा, लेकिन 13वीं शताब्दी के आसपास इसका पतन हो गया। सूत्रों के अनुसार, केन्द्र सरकार ने 2015 में विक्रमशिला विश्वविद्यालय के जीर्णोद्धार की परियोजना के लिए 500 करोड़ रुपए आवंटित किए थे।


विक्रमशिला विश्वविद्यालय के खंडहरों के बीच ईट का विशाल स्तूप विक्रमशिला का केन्द्र बिंदु है। स्तूप के चारो ओर 208 कक्ष हैं। इन कक्षों में सदियों पहले भिक्षु छात्र तंत्रयान की पढ़ाई करते थे। हीनयान और महायान के बाद तंत्रयान भारतीय बौद्ध धर्म की तीसरी प्रमुख शाखा थी। इसकी पढ़ाई तांत्रिक अभ्यास और अनुष्ठानों पर केन्द्रित था। प्राचीन विक्रमशिला विश्विद्यालय के विद्वान तंत्रयान के, विशेषज्ञ माने जाते थे।


पाल वंश के राजा धर्मपाल ने 8वीं शताब्दी के अंत में विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। यह नालंदा विश्वविद्यालय के समकालीन था। नालंदा विश्वविद्यालय विभिन्न विषयों के अध्ययन के लिए प्रसिद्ध था, जबकि विक्रमशिला विश्वविद्यालय तांत्रिक अध्ययन के लिए एकमात्र विश्वविद्यालय था।

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