पटना कलेक्ट्रेट में लैंगिक उत्पीड़न (POSH) अधिनियम, 2013 की हुई समीक्षा बैठक

Jitendra Kumar Sinha
0

 




राष्ट्रीय महिला आयोग ने पटना कलेक्ट्रेट में लैंगिक उत्पीड़न (POSH) अधिनियम, 2013 के कार्यान्वयन की समीक्षा  बैठक बुधवार को राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर अध्यक्षता में की।


बैठक में राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष के साथ समाज कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव हरजोत कौर बम्हरा, पटना जिलाधिकारी डॉ॰ चंद्र शेखर सिंह, पटना के उप विकास आयुक्त समीर सौरभ, सामाजिक कल्याण निदेशालय की निदेशक  रंजिता, महिला विकास निगम (WDCD) के निदेशक तथा राज्य के सभी विभागों एवं जिला से आए कमेटी के सदस्य शामिल थे।


समीक्षा बैठक का मुख्य उद्देश्य कार्यस्थल पर महिलाओं के लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम, निष्पक्ष जांच तथा प्रभावित महिलाओं को न्याय दिलाने हेतु POSH अधिनियम, 2013 के प्रभावी क्रियान्वयन पर चर्चा करना था। बैठक में राज्य में POSH अधिनियम की मौजूदा स्थिति, शिकायत निवारण तंत्र की प्रभावशीलता तथा संस्थानों में आंतरिक समितियों (IC) की स्थिति की समीक्षा की गई।


राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर ने कहा कि "महिलाओं को सुरक्षित कार्यस्थल उपलब्ध कराना हमारी प्राथमिकता है। POSH अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए जागरूकता, प्रशिक्षण और निगरानी बढ़ाने की आवश्यकता है।" उन्होंने सभी संबंधित विभागों को निर्देश दिया कि कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम के लिए कड़े कदम उठाए जाएं तथा समयबद्ध कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।


श्रीमती विजया ने सर्वप्रथम बिहार के सभी पदाधिकारियों द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की। उन्होंने यह भी कहा कि अगर महिला पीड़ित है तो आप उसकी सहायता कर उन्हें एक नई ज़िंदगी प्रदान कर सकते हैं और अगर कोई पुरुष के खिलाफ गलत इल्जाम भी लगाया गया है तो उसकी जाँच करवाकर आप उन्हें भी न्याय दिला सकते हैं।

सभी पदाधिकारियों को यह भी कहा कि पीड़िता अपनी शिकायत लेकर पुलिस स्टेशन या महिला आयोग या अन्य किसी भी जगह पर न जाकर आंतरिक कमेटी या स्थानीय कमेटी के पास ही आए, इस बात का ध्यान रखना जरूरी है। हम एक ऐसा वातावरण बनाएँ जहाँ पीड़ित महिला भरोसे के साथ आंतरिक कमेटी के समक्ष खुलकर अपनी बात को रख सके।


बैठक में उपस्थित सभी पदाधिकारियों को यह कहा कि वे कानून को अच्छी तरह से जाने। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जिला स्तर पर सार्वजनिक स्थलों जैसे बस स्टैंड पर, रेलवे स्टेशन पर होर्डिंग्स लगवाए जा सकते हैं, पब्लिक अनाउंसमेंट, वीडियो फिल्म्स, स्ट्रीट प्ले, कम्युनिटी रेडियो के माध्यम से स्थानीय भाषा में लोगों को यह समझाया जा सकता है कि वे अपनी शिकायत कहां और कैसे दर्ज करवा सकते हैं। इस कमेटी के सदस्य अवेयरनेस कैंपेन तैयार कर जिला पदाधिकारी के साथ साझा कर सकते हैं। 


राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ने कहा, "महिलाओं को एक ऐसा सुरक्षित मंच मिलना चाहिए, जहाँ वे बिना किसी डर के अपनी शिकायतें दर्ज कर सकें। सेक्शुअल हरासमेंट ई-बॉक्स(शी-बाॅक्स) इस दिशा में एक बड़ा कदम है, जिससे कार्यस्थल पर महिला कर्मचारियों के लिए सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल सुनिश्चित किया जा सके।"


सेक्शुअल हरासमेंट ई-बॉक्स (शी-बाॅक्स) एक ऑनलाइन कम्प्लेन प्रणाली है, जो शिकायतों को सीधे राष्ट्रीय महिला आयोग तक पहुँचाता है। इससे न केवल शिकायतों का त्वरित समाधान संभव होगा, बल्कि महिलाओं को अपनी पहचान उजागर किए बिना न्याय प्राप्त करने का अवसर भी मिलेगा।


बैठक में अपर मुख्य सचिव समाज कल्याण विभाग ने कहा कि अपने मन में किसी भी प्रकार का डर न बनाएं। आज की महिलाएं शिक्षित हैं, अपने पैरों पर खड़ी हैं, तो डरने की क्या जरूरत है। महिलाओं को खुलकर अपनी बात रखनी चाहिए। साथ ही उन्होंने यह जानकारी दी कि सभी जिलों में वन स्टॉप सेंटर बन चुके हैं। कुल 39 स्टॉप सेंटर काम कर रहे हैं। 


अपर मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य सरकार इस अधिनियम के सफल कार्यान्वयन के लिए प्रतिबद्ध है। सभी सरकारी एवं निजी संस्थानों में IC का गठन अनिवार्य रूप से होना चाहिए तथा प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। 


राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित करने हेतु इस प्रकार की समीक्षा बैठकों का आयोजन निरंतर किया जाता रहेगा।

इस कार्यक्रम का समापन राष्ट्रीय महिला आयोग के अध्यक्ष को अंगवस्त्र एवं मोमेन्टो देकर किया गया।

----------- 


एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!
To Top