चंद्रयान-4 मिशन वर्ष 2027 और चंद्रयान-5 मिशन 2028-29 तक भेजने का लक्ष्य

Jitendra Kumar Sinha
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष वी. नारायणन ने घोषणा करते हुए कहा है कि केन्द्र सरकार चंद्रयान-5 मिशन को मंजूरी दे दी है।


चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद अब भारत चंद्रमा पर चंद्रयान-4 और चंद्रयान-5 मिशन की तैयारी कर रहा है। केन्द्र सरकार पिछले साल चंद्रयान-4 मिशन को मंजूरी दी थी और अब चंद्रयान-5 मिशन की भी मंजूरी मिली है। यह मिशन वर्ष 2040 में चंद्रमा पर एक भारतीय को उतारने का आधार तैयार करेगा, जिससे मूलभूत प्रौद्योगिकी क्षमताओं का विकास होगा।


भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार, जापानी अंतरिक्ष एजेंसी जाक्सा और भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो संयुक्त रूप से लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन (लुपेक्स) मिशन की तैयारी काफी समय से कर रहा हैं। इस मिशन के लिए दोनों अंतरिक्ष एजेंसियों ने एक संयुक्त अध्ययन टीम का गठन सितम्बर 2020 में किया था। टीम ने मिशन के पहले चरण का अध्ययन कार्य पूरा कर लिया है और एक संयुक्त रिपोर्ट भी तैयार की है। इस मिशन के तहत भेजे जाने वाले लैंडर का कॉन्फिगरेशन लगभग तैयार है और उसकी समीक्षा चल रही है। 


भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चंद्रयान-3 मिशन में भारत ने जो रोवर (प्रज्ञान) चंद्रमा पर उतारा है, उसका वजन 26 किलोग्राम था, जबकि चंद्रयान-5 मिशन में भेजे जाने वाला रोवर उससे लगभग 10 गुणा अधिक वजन का रहेगा।  चंद्रयान-4 मिशन वर्ष 2027 और चंद्रयान-5 मिशन 2028-29 तक भेजने का लक्ष्य रखा गया है।


योजना अनुसार, मिशन के तहत भेजे जाने वाले लैंडर का विकास भारत करेगा और रोवर का विकास जापानी अंतरिक्ष एजेंसी जाक्सा करेगी। रोवर को लैंडर के भीतर इंटीग्रेट कर चंद्रमा पर भेजा जाएगा। लैंडर के चंद्रमा के सतह पर उतरने के बाद, रोवर बाहर निकलेगा और विभिन्न प्रयोगों को अंजाम देगा। रोवर का वजन 250 कि.ग्रा. रहने का अनुमान है, इसलिए लैंडर का आकार और वजन भी काफी बड़ा होगा। चंद्रयान-3 में भारत ने 1749 किलोग्राम का लैंडर भेजा था, लेकिन चंद्रयान-5 में लैंडर का वजन उससे काफी अधिक होगा।


इसरो के अनुसार, चंद्रयान-3 मिशन में भारत ने लैंडर विक्रम दक्षिणी ध्रुव के करीब लगभग 69 डिग्री पर उतारा था। चंद्रयान-5/लुपेक्स मिशन में लैंडर को दक्षिणी ध्रुव पर 90 डिग्री पर उतारने की योजना बनाई 

है। जबकि यह मिशन अधिक चुनौतीपूर्ण रहेगा। सूत्रों का माने तो जापान की ओर से विकसित किए जाने वाले रोवर में नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के कुछ पे-लोड हो सकते हैं।

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