शिवपुराण, स्कंदपुराण, देवीभागवतपुराण में रूद्राक्ष के महत्व को बताया गया है। शिवपुराण में बताया गया है कि भगवान शिव को रूद्राक्ष सर्वाधिक प्रिय है और रूद्राक्ष दर्शन, स्पर्श और जाप से पापों का नाश होता है।
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को एकादश महारुद्र वीरभद्रादि के स्वरूप का प्रतीक माना जाता है। स्वर्ग और पाताल लोक में विचरण करने वाले असंख्य रुद्र हैं। ऐसी मान्यता है कि ये सभी रुद्रगण ग्यारहमुखी रुद्राक्ष को धारण करने वाले से संतुष्ट और प्रसन्न रहते हैं। ग्यारहमुखी रुद्राक्ष धारण करने से धारक को एकादशी व्रत के समान फल प्राप्त होता है।
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को सिर या शिखा पर धारण करना अधिक श्रेष्ठ माना गया है। इसके विषय में कहा गया है कि इसे शिखा में धारण करने से सहस्र अश्वमेध यज्ञ और एक लाख गाय दान करने के बराबर पुण्य फल प्राप्त होता है। ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से सभी कष्ट-संकट दूर हो जाते हैं।
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष रुद्र का प्रतीक है। जो दान न कर सके वह यदि इस रुद्राक्ष को धारण करे तो दान का फल मिलता है।
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