चौदह मुखी रुद्राक्ष : शिव का परमप्रिय रुद्राक्ष है

Jitendra Kumar Sinha
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चौदह मुखी रुद्राक्ष को साक्षात् भुवनेश्वर का प्रतीक स्वरूप माना गया है। पुराणों में इसके विषय में कहा गया है कि चौदह विद्या, चौदह लोक, चौदह मनु, चौदह इन्द्र का साक्षात स्वरूप है। चौदहमुखी को वृक्ष से उत्पन्न सर्वदेवमय, विशिष्ट रुद्राक्ष माना जाता है। इसे ब्रह्म बुद्धि अर्थात् वेदांतिक, दार्शनिक, विद्यायुक्त विचारधारा प्रदान करने में समर्थ माना गया है। चतुर्वर्गों का फल चाहने वाले को यत्नपूर्वक चौदहमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

तांत्रिक धारणा के अनुसार, इसमें हनुमान जी की शक्ति निहित रहती है। चौदह मुखी रुद्राक्ष को गले में धारण करने का विधान है। पौराणिक मान्यता के अनुसार स्वयं भगवान शंकर इसे धारण करते थे। इसे धारण करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक और भौतिक सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। साधारणतया रुद्राक्ष को बिना मंत्रादि का उच्चारण किये भी धारण किया जाता है, किंतु यदि शास्त्रीय विधि से रुद्राक्ष को अभिमंत्रित करके धारण किया जाय, तो अति उत्तम है। मंत्र द्वारा रुद्राक्ष को अभिमंत्रित कर लेने से उसमें विलक्षण शक्ति आ जाती है तथा यह अभिमंत्रित रुद्राक्ष धारक को अधिक फल प्रदान करता है।


चौदह मुखी रुद्राक्ष शिव का परमप्रिय रुद्राक्ष है। यदि भाग्यवश ऐसा रुद्राक्ष मिल जाये तो वह व्यक्ति भाग्यशाली माना जायेगा क्योंकि यह साक्षात शिवरूप का प्रदाता है और सभी प्रकार की सिद्धियों प्रदान करने में सक्षम है।

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