तमिलनाडु ने बनाया इतिहास: राज्यपाल और राष्ट्रपति की सहमति के बिना लागू किए 10 अधिनियम

Jitendra Kumar Sinha
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तमिलनाडु की डीएमके सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए 10 विधेयकों को बिना राज्यपाल या राष्ट्रपति की औपचारिक स्वीकृति के अधिनियम के रूप में अधिसूचित कर दिया है। यह भारत में पहली बार है जब किसी राज्य ने बिना राज्यपाल या राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के विधेयकों को लागू किया है। इस निर्णय को राज्य सरकार की स्वायत्तता और संघीय ढांचे की जीत के रूप में देखा जा रहा है।


सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

8 अप्रैल 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार बनाम राज्यपाल आर.एन. रवि मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। कोर्ट ने राज्यपाल द्वारा 10 विधेयकों को राष्ट्रपति के विचार के लिए भेजने को "असंवैधानिक" और "गैरकानूनी" करार दिया। न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और आर. महादेवन की पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का उपयोग करते हुए इन 10 विधेयकों को 18 नवंबर 2023 को स्वीकृत मान लिया। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि राष्ट्रपति द्वारा इन विधेयकों पर की गई कोई भी कार्रवाई, जिसमें सात को अस्वीकार करना और दो पर विचार न करना शामिल है, कानूनी रूप से अमान्य है। 


क्या कहता है संविधान?

संविधान के अनुसार, राज्य विधानसभा में पारित किसी विधेयक को राज्यपाल के पास मंज़ूरी के लिए भेजा जाता है। राज्यपाल उसे मंजूरी दे सकते हैं, अस्वीकार कर सकते हैं, या संशोधन के लिए लौटा सकते हैं। लेकिन यदि विधानसभा उसे दोबारा पारित करती है, तो राज्यपाल उस पर पुनः विचार करने या राष्ट्रपति को भेजने का अधिकार नहीं रखते—उन्हें अनिवार्य रूप से मंजूरी देनी होती है।


गवर्नर की कार्रवाई ‘गैरकानूनी’

तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह तर्क रखा कि राज्यपाल द्वारा दोबारा पारित बिलों को राष्ट्रपति के पास भेजना न केवल अवैध है बल्कि राज्य सरकार के अधिकारों में हस्तक्षेप भी है। कोर्ट ने यह स्वीकारते हुए कहा कि राष्ट्रपति द्वारा बाद में किए गए सभी कार्य "non est in law" यानी कानून की दृष्टि से अस्तित्वहीन माने जाएंगे। 


क्या हैं ये 10 अधिनियम?

ये अधिनियम मुख्य रूप से राज्य के विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति और प्रशासनिक शक्तियों से संबंधित हैं। इनमें से कुछ प्रमुख अधिनियम हैं:

  • तमिलनाडु मत्स्य विश्वविद्यालय (संशोधन) अधिनियम, 2020: इसका नाम बदलकर तमिलनाडु डॉ. जे. जयललिता मत्स्य विश्वविद्यालय किया गया और प्रशासनिक नियंत्रण राज्य सरकार को ट्रांसफर किया गया।

  • तमिलनाडु पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) अधिनियम, 2020: इसने निरीक्षण और जांच की शक्तियों को राज्यपाल (कुलाधिपति) से राज्य सरकार को ट्रांसफर किया।

  • तमिलनाडु विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) अधिनियम, 2022: इसने कुलपतियों की नियुक्ति का अधिकार राज्य सरकार को दिया।

  • तमिलनाडु डॉ. अंबेडकर विधि विश्वविद्यालय (संशोधन) अधिनियम, 2022

  • तमिलनाडु डॉ. एम.जी.आर. चिकित्सा विश्वविद्यालय (संशोधन) अधिनियम, 2022

  • तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय (संशोधन) अधिनियम, 2022


इस निर्णय ने राज्यपाल की भूमिका और शक्तियों पर एक नई बहस छेड़ दी है और यह देखना दिलचस्प होगा कि अन्य राज्य इस दिशा में क्या कदम उठाते हैं।

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