कोविड-19 भले ही काफी हद तक नियंत्रित हो चुका हो, लेकिन इसके दीर्घकालिक दुष्प्रभाव (लॉन्ग कोविड) अभी भी लोगों प्रभावित कर रहे हैं। यह स्थिति उन लोगों में देखी जा रही है जो कोविड से ठीक हो चुके हैं, लेकिन उसके साइड इफेक्ट्स अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुए हैं।
लॉन्ग कोविड का मतलब है कोरोना से ठीक होने के महीनों-वर्षों बाद भी शारीरिक या मानसिक लक्षणों का बने रहना। ये लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं और व्यक्ति के दैनिक जीवन को भी प्रभावित कर सकते हैं।
लॉन्ग कोविड का सबसे अधिक प्रभाव फेफड़ों पर देखने को मिला है। जिन मरीजों को कोविड के दौरान फेफड़ों में गंभीर संक्रमण हुआ था, उन्हें लंग्स फाइब्रोसिस जैसी समस्याएं हो रही हैं। इनके फेफड़ों की कार्यक्षमता प्रभावित हुई है।
सूत्रों के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति को अब चलने या सीढ़ी चढ़ने पर सांस फूलने की समस्या हो रही है, जो पहले नहीं थी, तो यह लॉन्ग कोविड का संकेत हो सकता है। ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
लॉन्ग कोविड का यह एक और गंभीर साइड इफेक्ट सामने आ रहा है, जो हिप जॉइंट बोन डिजीज है। इसे मेडिकल भाषा में एवैस्कुलर नेक्रोसिस कहा जाता है। देखा जाए तो कोरोना के दौरान मरीज को स्टेरॉइड्स की अधिक मात्रा दी गई। इससे कुछ मरीजों को हड्डियों में रक्त प्रवाह कम होने की समस्या हो गई। खासतौर पर हिप जॉइंट में। इस समस्या से युवा और बुजुर्ग दोनों प्रभावित हो रहे हैं।
लॉन्ग कोविड का लक्षण है, बैठने पर दर्द, कूल्हे में जकड़न, चलने में कठिनाई। इसका उपचार दवाओं से संभव है और गंभीर मामलों में सर्जरी की आवश्यकता भी हो सकती है।
लॉन्ग कोविड से बचने के लिए सावधान रहने की आवश्यकता है। प्राथमिक जांच और समय समय पर इलाज से बीमारी को शुरुआती स्तर पर ही नियंत्रित किया जा सकता है। खास कर कोलेस्ट्रॉल, मोटापा, शुगर को नियंत्रित रखना चाहिए।
———————-
