इन कार्यों की गुणवत्ता और समयबद्धता सुनिश्चित करने हेतु विभागीय पदाधिकारियों की टीमें इन दिनों प्रदेश के विभिन्न परिक्षेत्रों में स्थल निरीक्षण कर रही हैं। निरीक्षण के उपरांत अधिकारी मुख्यालय को विस्तृत प्रतिवेदन भी सौंप रहे हैं, ताकि तैयारियों में कोई चूक न हो।
बाढ़ पूर्व तैयारी में जुटा विभागीय अमला
जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता, बाढ़ नियंत्रण एवं जल निस्सरण के अधीन गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, वीरपुर, समस्तीपुर, पटना और कटिहार जैसे क्षेत्रों में कटाव निरोधक कार्य, तटबंधों की मरम्मत, ब्रीच क्लोजर एवं पुनर्स्थापन कार्यों का जायज़ा लिया जा रहा है।
निरीक्षण दल में विभाग के वरीय पदाधिकारी –
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श्री शरद कुमार (अभियंता प्रमुख, बाढ़ नियंत्रण एवं जल निस्सरण)
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श्री नवीन (अपर सचिव)
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श्री पवन कुमार सिन्हा (अपर सचिव)सहित अन्य तकनीकी अधिकारी शामिल हैं, जो मौके पर पहुंचकर कार्यों की प्रगति, गुणवत्ता और सामग्री की उपलब्धता की बारीकी से जांच कर रहे हैं।
सामग्री और श्रमबल की स्थिति का आकलन
निरीक्षण के दौरान अधिकारियों ने ई.सी. बैग, एन.सी., जियो बैग, गैबियन, बोल्डर क्रेट जैसे महत्वपूर्ण सामग्री की उपलब्धता का मूल्यांकन किया। इसके साथ ही उन्होंने कार्य की अवयववार प्रगति, शेष बचे कार्य, उपलब्ध श्रमबल और मशीनरी की स्थिति की भी समीक्षा की।
उल्लेखनीय है कि विभाग गुणवत्ता नियंत्रण संगठन के माध्यम से कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए नियमित रूप से जांच कर रहा है। निरीक्षण दल ने इन जाँचों की रिपोर्ट भी देखी और कार्यों में यदि कोई बाधा आ रही है, तो उनके समाधान की अद्यतन स्थिति की भी जानकारी ली।
बाढ़ के प्रभाव को कम करने का लक्ष्य
जल संसाधन विभाग का उद्देश्य है कि बाढ़ के दौरान संभावित जोखिम को न्यूनतम किया जा सके और जन-धन की हानि को रोका जाए। इसके लिए विभाग ने इस वर्ष बाढ़ के पहले ही प्रत्येक तटबंध और आक्राम्य स्थल की पहचान कर कार्य प्रारंभ कर दिए हैं।
समय पर इन कार्यों के पूरा होने से नदी कटाव से बचाव, तटबंधों की मजबूती, और बाढ़ग्रस्त इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
तैयारियों से दिख रही है सजगता
जल संसाधन विभाग की यह तैयारी दर्शाती है कि सरकार बाढ़ से निपटने को लेकर पूरी तरह सजग और सक्रिय है। समय से पहले निरीक्षण और निगरानी से यह उम्मीद जताई जा रही है कि 2025 की संभावित बाढ़ से लोगों को पहले की अपेक्षा बेहतर सुरक्षा और राहत मिल सकेगी।
इस प्रकार की पहलें न सिर्फ बाढ़ प्रबंधन को सुदृढ़ करती हैं, बल्कि जनविश्वास और विभागीय दक्षता को भी मजबूत बनाती हैं। आने वाले दिनों में, यदि यह कार्य ससमय और निर्धारित मानकों के अनुरूप पूरे होते हैं, तो राज्य भर में बाढ़ की विभीषिका को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकेगा।