धड़हर पंप हाउस और लिंक नहर से 2716 हेक्टेयर भूमि को मिलेगी सिंचाई की सुविधा

Jitendra Kumar Sinha
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बिहार के किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। दुर्गावती प्रखंड के धड़हर पंचायत क्षेत्र में निर्मित हो रही धड़हर पंप हाउस और लिंक नहर योजना अब अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। इस बहुप्रतीक्षित परियोजना के तहत 2716 हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई की सुविधा मिलने जा रही है, जिससे किसानों को खरीफ की फसल के समय जल संकट से राहत मिलेगी।


योजना का 88 प्रतिशत कार्य अब तक पूरा किया जा चुका है। इस परियोजना पर सरकार द्वारा 57.71 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई है। इसमें 2.65 किलोमीटर लंबी लिंक नहर का निर्माण शामिल है, जिसमें से 1 किलोमीटर का कार्य पूर्ण हो चुका है। साथ ही, पंप हाउस और इससे जुड़ी संरचनाओं का निर्माण भी पूरा कर लिया गया है।


किन-किन गांवों को मिलेगा लाभ?

यह योजना विशेष रूप से दुर्गावती प्रखंड के धड़हर पंचायत के अंतर्गत आने वाले निम्नलिखित गांवों के किसानों के लिए बनाई गई है:

  • धड़हर

  • कानपुर

  • पिपरी

  • धनसराय

  • सखेलीपुर

  • भानपुर

  • कुरारी

  • बरुरी

इन सभी गांवों की कुल 2716 हेक्टेयर कृषि भूमि को अब कर्मनाशा नदी के जलस्रोत से उठाकर (लिफ्ट सिस्टम द्वारा) सिंचाई की सुविधा प्रदान की जाएगी।


जून तक पूरा करने का लक्ष्य

योजना की प्रगति को देखते हुए विभागीय अधिकारियों का लक्ष्य है कि इसे आगामी जून माह तक पूर्ण कर लिया जाए, ताकि खरीफ की फसल के दौरान किसानों को समय पर और पर्याप्त मात्रा में सिंचाई का पानी मिल सके। इससे क्षेत्र के कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है और किसानों की आय में भी सुधार होगा।


आधुनिक तकनीक से लैस पंप हाउस

पंप हाउस का निर्माण नवीनतम तकनीक के आधार पर किया गया है, और पंपों की अधिष्ठापना (installation) का कार्य सफलतापूर्वक पूर्ण कर लिया गया है। अब शेष नहर निर्माण तेजी से प्रगति पर है।


सरकार की ग्रामीण विकास के प्रति प्रतिबद्धता

इस योजना से न सिर्फ खेती की निर्भरता मानसून पर कम होगी, बल्कि यह ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई की स्थिति को सुदृढ़ करने की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। आने वाले समय में इस तरह की योजनाओं से राज्य के अन्य क्षेत्रों को भी लाभान्वित किया जाएगा।


धड़हर पंप हाउस और लिंक नहर योजना किसानों के लिए वरदान साबित होने जा रही है। यदि योजना तय समय पर पूरी होती है, तो खरीफ की फसल के साथ ही यह क्षेत्र हरित क्रांति की ओर एक और कदम बढ़ा देगा।

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