भारत के पाँच शिवलिंग जो पंचतत्व का प्रतीक हैं

Jitendra Kumar Sinha
0




भारत की संस्कृति में शिवलिंगों का विशेष महत्व है। भगवान शिव को पंचतत्व (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश) का अधिपति माना जाता है। इन्हीं पंचतत्वों को दर्शाने वाले पाँच प्रमुख शिवलिंग भारत में स्थित हैं, जिन्हें "पंचभूत स्थल" कहा जाता है। इन मंदिरों में स्थित शिवलिंगों की पूजा विशेष रूप से की जाती है, क्योंकि वे ब्रह्मांड के मूल तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं।


1. पृथ्वी लिंग – एकाम्बरेश्वर मंदिर (कांचीपुरम, तमिलनाडु)





कांचीपुरम में स्थित एकाम्बरेश्वर मंदिर पृथ्वी तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। इस मंदिर का शिवलिंग मिट्टी से बना हुआ है, जिसे देवी पार्वती ने स्वयं स्थापित किया था। माना जाता है कि भगवान शिव यहाँ एक आम के पेड़ के नीचे प्रकट हुए थे। मंदिर के परिसर में आज भी 3,500 साल पुराना आम का वृक्ष मौजूद है, जिसकी चार शाखाएँ चारों वेदों का प्रतिनिधित्व करती हैं।


2. जल लिंग – जंबुकेश्वर मंदिर (तिरुचिरापल्ली, तमिलनाडु)




यह मंदिर जल तत्व का प्रतीक है और यहाँ शिवलिंग के नीचे प्राकृतिक जलस्रोत हमेशा बहता रहता है। मान्यता है कि देवी पार्वती ने यहाँ तपस्या की थी और शिवलिंग को जल से अभिषेक किया था। इस मंदिर की अनूठी विशेषता यह है कि गर्भगृह में हमेशा पानी भरा रहता है, चाहे कितनी भी गर्मी क्यों न हो।

3. अग्नि लिंग – अरुणाचलेश्वर मंदिर (तिरुवन्नामलाई, तमिलनाडु)





भगवान शिव का यह रूप अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। इस मंदिर में हर साल कार्तिगई दीपम उत्सव मनाया जाता है, जिसमें अरुणाचल पहाड़ी के ऊपर एक विशाल अग्नि प्रज्वलित की जाती है, जो शिव के प्रकाश रूप का प्रतीक है। यह स्थल दर्शाता है कि भगवान शिव स्वयं अग्नि के रूप में प्रकट हुए थे और उनकी लौ अनंत है।

4. वायु लिंग – कालहस्ती मंदिर (आंध्र प्रदेश)





श्रीकालहस्ती मंदिर वायु तत्व को दर्शाता है। इस मंदिर के शिवलिंग की विशेषता यह है कि यह बिना किसी बाहरी हवा के भी स्वतः हिलता रहता है। कहा जाता है कि यहाँ भगवान शिव ने वायु रूप में प्रकट होकर भक्तों को आशीर्वाद दिया था। मंदिर की संरचना इतनी अद्भुत है कि गर्भगृह में दीपक बिना हवा के भी जलता रहता है।

5. आकाश लिंग – चिदंबरम नटराज मंदिर (तमिलनाडु)





चिदंबरम मंदिर आकाश तत्व का प्रतीक है। यहाँ भगवान शिव नटराज रूप में विराजमान हैं, जो ब्रह्मांडीय नृत्य करते हुए दिखाए गए हैं। यह मंदिर ब्रह्मांड की अनंतता और शिव के सूक्ष्मतम रूप को दर्शाता है। यहाँ की एक खास बात यह है कि शिवलिंग नहीं है, बल्कि आकाश रूप में भगवान शिव की पूजा की जाती है।


पंचभूत स्थल केवल पूजा स्थल नहीं हैं, बल्कि वे हमारे अस्तित्व और प्रकृति के मूलभूत तत्वों को दर्शाते हैं। शिवलिंगों के माध्यम से पंचतत्वों की यह अवधारणा भारतीय आध्यात्मिकता और विज्ञान दोनों को एकसाथ जोड़ती है। जो भी भक्त इन पंचभूत शिवलिंगों के दर्शन करता है, उसे आध्यात्मिक शांति और प्रकृति से जुड़ाव का अद्भुत अनुभव प्राप्त होता है।

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!
To Top