हीरा कारोबारी और पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले के मुख्य आरोपी मेहुल चोकसी को आखिरकार बेल्जियम में गिरफ्तार कर लिया गया है। यह गिरफ्तारी 11 अप्रैल 2025 को हुई और इससे भारत सरकार की बड़ी कामयाबी मानी जा रही है। चोकसी के खिलाफ लंबे समय से रेड कॉर्नर नोटिस जारी था और भारत उसे प्रत्यर्पित करने के लिए लगातार कोशिश कर रहा था।
चोकसी, जो कभी देश के टॉप ज्वेलर्स में गिना जाता था, अब करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी के मामले में इंटरनेशनल भगोड़ा बन चुका है। उसने अपने भतीजे नीरव मोदी के साथ मिलकर 13,500 करोड़ रुपये का घोटाला किया था। यह मामला 2018 में सामने आया था, जब दोनों घोटाले का खुलासा होने से पहले ही देश छोड़कर भाग गए थे।
मेहुल चोकसी ने पहले एंटीगुआ की नागरिकता ली और वहीं शरण ली थी। 2021 में वह डोमिनिका में भी पकड़ा गया था जब वह कथित रूप से क्यूबा भागने की कोशिश कर रहा था, लेकिन तब उसे भारत नहीं लाया जा सका। इस बार वह बेल्जियम के एंटवर्प में पकड़ा गया, जहां वह अपनी पत्नी प्रीति चोकसी के साथ रह रहा था। प्रीति के पास बेल्जियम की नागरिकता है और मेहुल चोकसी के पास भी वहां का रेजिडेंसी कार्ड था।
गिरफ्तारी के बाद उसे बेल्जियम की अदालत में पेश किया गया और अब भारत सरकार वहां की अदालतों के जरिए उसके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू कर रही है। CBI और ED दोनों ही एजेंसियां इस केस में पहले से कार्रवाई कर रही हैं और अब चोकसी की वापसी से जांच और भी रफ्तार पकड़ेगी।
इस गिरफ्तारी से भारत सरकार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत संदेश देने का मौका मिला है कि वह अपने आर्थिक अपराधियों को दुनिया के किसी भी कोने से ढूंढकर लाने में सक्षम है। अब निगाहें इस पर टिकी हैं कि बेल्जियम की अदालतें कितनी जल्दी उसे भारत के हवाले करती हैं।
वहीं, नीरव मोदी अभी भी लंदन में छिपा बैठा है और उसके खिलाफ भी प्रत्यर्पण की प्रक्रिया जारी है। अगर चोकसी को भारत लाने में सफलता मिलती है, तो यह नीरव मोदी के लिए भी एक बड़ा झटका होगा।
इस पूरी घटना ने एक बार फिर दिखा दिया कि कानून से भागना आसान नहीं होता, और देर-सवेर इंसाफ का पहिया घूमता ही है।