भिक्षावृत्ति का असर - दूसरे देश नहीं देते वीजा

Jitendra Kumar Sinha
0



पाकिस्तान में शहबाज शरीफ सरकार के रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने कहा है कि पाकिस्तान में लगभग 2.2 करोड़ भिखारी है। उन्होंने यह भी कहा है कि इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है और यह अब घरेलू मसला नहीं रहा। पाकिस्तानी विदेशों में भी भीख मांग रहे हैं। इसलिए, इनकी बढ़ती आबादी विदेशों में भी देश की छवि खराब कर रही है। 


ध्यातव्य है कि पाकिस्तान की कुल आबादी 24 करोड़ के करीब है। इस तरह पाकिस्तान में करीब हर 10वां आदमी भीख मांगता है। इस तरह पड़ोसी देश में भीख मांगना एक तरह से राष्ट्रीय पेशा बन चुका है।


सूत्रों के अनुसार, ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने सियालकोट में रेडीमेड गारमेंट्स एसोसिएशन के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि इन भिखारियों की सालाना आय कुल 42 अरब रुपए है। समस्या की विकरालता बताते ख्वाजा ने कहा कि उन्होंने सियालकोट से दो बार भिखारियों को बाहर निकाला है, लेकिन वे बड़ी संख्या में वापस आ रहे हैं। उन्होंने कहा, इससे देश की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा धूमिल होती है।


देखा जाय तो पाकिस्तान के नागरिक ही नहीं, देश के रूप में पाकिस्तान भी दुनिया भर में, सबसे ज्यादा कर्ज मांगने वाले देश के रूप में कुख्यात है। आइएमएफ से सबसे अधिक 20 बार कर्ज लेने वाले दो देश हैं- पाकिस्तान और अर्जेंटीना। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी कई मौकों पर रोना रो चुके हैं कि उन्हें मेजबान देश कर्ज मांगने वाला मानता हैं।


रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने कहा है कि अकेले सऊदी अरब में 6,000 लोग भीख मांग रहे हैं। जबकि पिछले तीन साल में सऊदी अरब 4700 पाकिस्तानियों को भीख मांगते हुए पकड़कर डिपोर्ट कर चुका है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानियों की इस भिक्षावृत्ति की बढ़ती समस्या के चलते देश के उद्योगपतियों को विदेशी वीजा हासिल करने में समस्याएं आती हैं।


पाकिस्तान के लोगों को गुमराह करने के लिए यहां के हुक्मरान कट्टरपंथ को बढ़ावा देते हैं। इसके चलते, यहां गिने-चुने हिंदू मंत्री भी सुरक्षित नहीं हैं। शनिवार को पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के सांसद और धार्मिक मामलों के राज्य मंत्री खील दास कोहिस्तानी के काफिले पर टमाटर और आलू फेंके और संघीय सरकार के खिलाफ नारे लगाए।

-----------


एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!
To Top