रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष में एक नया मोड़ तब आया जब यूक्रेनी सैन्य खुफिया ने दावा किया कि उन्हें रूसी हथियार प्रणालियों में पहली बार भारत में निर्मित उपकरण मिले हैं। यूक्रेन के मिलिट्री इंटेलिजेंस के अनुसार, रूसी हथियारों में अमेरिकी निर्मित उपकरणों की जगह अब भारतीय उपकरणों का उपयोग किया जा रहा है, जो पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए कड़े प्रतिबंधों के परिणामस्वरूप हो सकता है।
यूक्रेनी सैन्य खुफिया ने बताया कि उन्हें रूसी हथियार प्रणालियों में छह प्रकार के नए पुर्जे मिले हैं, जिनमें से एक भारतीय निर्मित क्लॉक बफर है। इसके अलावा, उन्होंने रूसी मॉडिफाइड शाहेद ड्रोन का सीआरपी एंटेना, उत्तर कोरियाई केएन-24 बैलिस्टिक मिसाइल, किंझल मिसाइल का कंप्यूटर, और कई निगरानी और अटैक ड्रोन में भी नए पुर्जे पाए हैं।
भारत और रूस के बीच दशकों से घनिष्ठ रक्षा संबंध रहे हैं, जिसमें रूस भारत को हथियारों का प्रमुख आपूर्तिकर्ता रहा है। हालांकि, यूक्रेन युद्ध के बाद, अमेरिका और पश्चिमी देशों ने रूस पर कई प्रतिबंध लगाए हैं, जिससे रूस को अन्य स्रोतों से उपकरण प्राप्त करने की आवश्यकता पड़ी है। इस बीच, भारत ने रूस से तेल और अन्य वस्तुओं की खरीद जारी रखी है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध मजबूत बने हुए हैं।
यह स्थिति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की भूमिका और उसकी तटस्थता की नीति पर सवाल खड़े कर सकती है, विशेषकर जब पश्चिमी देश रूस पर दबाव बना रहे हैं। भारत ने अब तक रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष में संतुलित रुख अपनाया है, लेकिन रूसी हथियारों में भारतीय उपकरणों की मौजूदगी से यह संतुलन प्रभावित हो सकता है।
