आसान नहीं दिखता - यमुना नदी प्रदूषण मुक्त होना

Jitendra Kumar Sinha
0

 



दिल्ली में वायु और जल प्रदूषण की समस्या एक बड़ी समस्या है। भारत की प्रमुख नदियों में, यमुना नदी का जल प्रदूषण, एक ऐसी समस्या है कि दिल्ली विधानसभा चुनावों में यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना रहा। 


यमुना नदी का उधम स्थल, उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित यमुनोत्री ग्लेशियर है और यह ग्लेशियर बन्दरपूंछ चोटियों के दक्षिण-पश्चिम ढलानों पर स्थित है। यमुना नदी की लंबाई 1,376 किलोमीटर है और 

जलग्रहण क्षेत्र 36,220 वर्ग किलोमीटर में फैला है। यमुना नदी आगरा, मथुरा और दिल्ली सहित कई महत्वपूर्ण शहरों से गुजरते हुए प्रयागराज होते हुए उत्तर प्रदेश में गंगा नदी से मिलती है।


आज देश के नदियों के संरक्षण की बहुत आवश्यकता है, क्योंकि बहुत सारी नदियां प्रदूषण का सामना कर रही है। प्रदूषित नदियों में यमुना नदी को अव्वल माना जाता है। 


यमुना नदी के प्रदूषण का मुख्य कारण शहरों से निकलने वाली अथाह सीवरेज, औद्योगिक अपशिष्ट (कचरा), गंदा पानी, कृषि अपशिष्ट, पालाष्टिक प्रदूषण, धातु प्रदूषण, घरेलू कचरा (नदी में प्रवाह करने वाली) आदि कारण है। सूत्रों के अनुसार, ओखला बैराज और बजीराबाद के बीच यमुना का 22 किलोमीटर का हिस्सा पूरी तरह प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है। वही, नोयडा और पूर्वी दिल्ली का मलवा शहादरा नाले से बह कर आता है और बैराज के नीचे की ओर जाकर यमुना नदी में मिल जाता है। 


अब देखना है कि दिल्ली की नई सरकार यमुना नदी को प्रदूषित करने वाले स्रोत से कैसे निपटती है और यमुना नदी को प्रदूषण मुक्त करती है। क्योंकि नदी को प्रदूषित करने वाले सारी स्रोत के लिए पहले वैकल्पिक व्यवस्था करनी होगी, तब ही यमुना नदी प्रदूषण मुक्त हो सकेगी।

—————-


एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!
To Top