ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना के स्कूल में ऐतिहासिक बदलाव देखे जा रहे हैं। नए आधिकारिक आंकड़े के अनुसार, प्राइमरी स्कूलों में मुस्लिम छात्रों की संख्या, अब ईसाई छात्रों से अधिक हो गई है। पहली बार स्कूलों में 'एथनिक ऑस्ट्रियन्स' यानि मूल ऑस्ट्रियाई स्वयं को अल्पसंख्यक की स्थिति में देख रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, आंकड़े बताते हैं कि वियना के कुल 1,12,600 स्कूली छात्रों में 41.2% मुस्लिम, 34.5% ईसाई हैं, इनमें 17.5% रोमन कैथोलिक और 14.5% ऑर्थोडॉक्स हैं। 23% छात्रों का कोई धार्मिक जुड़ाव नहीं है।
चौंकाने वाली बात यह है कि कई कक्षाओं में 'जर्मन' अब दूसरी भाषा बन चुकी है, जिससे शिक्षा के माध्यम में भाषा भी बड़ी चुनौती बनकर उभर रही है। इस जनसांख्यिकीय बदलाव ने हलचल मचा दी है। दक्षिणपंथी फ्रीडम पार्टी ने चेतावनी दी है कि 'ऑस्ट्रियाई जल्द ही अपने देश में अजनबी बन जाएंगे।' कुछ अभिभावकों और शिक्षकों ने चिंता जताई है कि भाषाई बाधा से कक्षा में अराजकता जैसे हालात बन रहे हैं। कई मूल ऑस्ट्रियाई अब गांवों में पलायन कर रहे हैं, जहां जर्मन अब भी मुख्य भाषा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव सिर्फ वियना की कहानी नहीं है। बल्कि भारत, फ्रांस, ब्रिटेन और अमरीका जैसे देशों में भी कई समाज तेजी से बढ़ रहे हैं। उन्हें समझना होगा कि विविधता को सही तरीके से नहीं साधा गया तो, शिक्षा से लेकर देश में भाषाई और धार्मिक ध्रुवीकरण गहराएगा। वियना स्कूलों में नया विषय 'लोकतंत्र में जीवन' शुरू करने वाला है।
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