बिहार में गरीबों को पक्के घर दिलाने की दिशा में एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। प्रधानमंत्री आवास योजना–ग्रामीण (PMAY-G) के तहत वर्षों से लंबित प्रतीक्षा सूची अब समाप्त हो गई है। केंद्र सरकार ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मांग पर विशेष रूप से 5,20,742 अतिरिक्त आवासों की स्वीकृति दी है। इस अहम निर्णय की जानकारी केंद्रीय कृषि, किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री को एक पत्र के माध्यम से दी।
5 लाख से अधिक नए आवास, वर्षों की प्रतीक्षा खत्म
बिहार में वर्ष 2018 से प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जिन लाभार्थियों को आवास नहीं मिल पाया था, उनके लिए यह निर्णय किसी सौगात से कम नहीं है। अब इन अतिरिक्त आवासों के आवंटन के बाद प्रतीक्षा सूची लगभग पूरी तरह से संतृप्त (सैचुरेटेड) हो चुकी है। यानी प्रतीक्षा कर रहे लगभग सभी लाभुकों को अब अपना घर मिल सकेगा।
केंद्र की पहल: 2 करोड़ अतिरिक्त घरों की योजना
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 9 अगस्त 2024 को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में ग्रामीण भारत में बढ़ती आवासीय जरूरतों को देखते हुए 2 करोड़ अतिरिक्त घरों के निर्माण की योजना को मंजूरी दी थी। इस योजना को वर्ष 2029 तक विस्तारित किया गया है।
बिहार को इस योजना के तहत अब तक कुल 44,92,010 घर आवंटित किए जा चुके हैं। यह आवंटन 2016 से शुरू हुई इस योजना की निरंतरता और राज्य की सक्रिय भागीदारी का परिणाम है।
अब आगे क्या? — नए सिरे से सर्वे होगा शुरू
केंद्र सरकार के पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि प्रतीक्षा सूची समाप्त होने के बाद अब राज्य सरकार नए स्तर से सर्वेक्षण कराएगी। इस सर्वे के तहत कच्चे मकानों में रहने वाले गरीब परिवारों की पहचान की जाएगी ताकि उन्हें अगली सूची में शामिल कर समय पर आवास प्रदान किया जा सके।
नीतीश सरकार की सक्रिय भूमिका
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सक्रियता और बार-बार की गई मांगों के कारण यह अतिरिक्त स्वीकृति संभव हो पाई है। इससे यह स्पष्ट होता है कि राज्य सरकार न केवल योजनाओं को लागू करने में सक्रिय है, बल्कि लोगों के अधिकारों को सुनिश्चित कराने के लिए केंद्र से लगातार संवाद भी कर रही है।
पक्के घर की ओर एक और कदम
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अतिरिक्त आवासों की यह स्वीकृति बिहार के लाखों गरीब परिवारों के लिए "कच्चे से पक्के घर" की ओर एक बड़ा कदम है। यह राज्य के ग्रामीण विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा, जिससे सामाजिक-आर्थिक स्थिरता और सम्मानजनक जीवनशैली को बल मिलेगा।
इस तरह, 14 अप्रैल 2025 का दिन केवल बाबा साहब अंबेडकर की जयंती के तौर पर ही नहीं, बल्कि घर की उम्मीद लिए बैठे गरीबों के लिए खुशखबरी का दिन बन गया।