17 अप्रैल 2025 को सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है। सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने 'वक्फ बाय यूजर' का मुद्दा उठाया, जिस पर CJI ने उन्हें बीच में बोलने से रोका।
कोर्ट के निर्देश
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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि अगले आदेश तक वक्फ बोर्ड या काउंसिल में कोई नई नियुक्ति न की जाए।
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सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 7 दिन का समय दिया गया है।
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अगली सुनवाई 5 मई 2025 को निर्धारित की गई है।
केंद्र सरकार का पक्ष
सुनवाई के दौरान, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह कानून संसद में व्यापक विचार-विमर्श के बाद पारित किया गया है और इसे बिना सरकार की सुनवाई के स्थगित करना उचित नहीं होगा। उन्होंने अदालत से जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।
याचिकाकर्ताओं की आपत्तियाँ
याचिकाकर्ताओं ने 'वक्फ बाय यूजर' और 'वक्फ बाय डीड' जैसे प्रावधानों पर आपत्ति जताई है। उनका तर्क है कि ये प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 का उल्लंघन करते हैं। सुनवाई के दौरान, CJI ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या वे हिंदू बोर्डों में मुसलमानों को शामिल करने की अनुमति देंगे, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि कोर्ट इस मामले में निष्पक्षता और समानता के सिद्धांतों पर विचार कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर तत्काल रोक नहीं लगाई है, लेकिन सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया है और निर्देश दिया है कि तब तक वक्फ बोर्ड में कोई नई नियुक्ति न की जाए। इस मामले की अगली सुनवाई 5 मई 2025 को होगी।