अमेरिका में सरकारी विभागों में लगातार हो रही छंटनी की प्रक्रिया अब देश की सबसे ताकतवर संस्था सेना तक पहुँच गई है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने अब सैन्य संरचना को भी दायरे में लाकर उच्च पदों की कटौती का आदेश जारी किया है। इससे अमेरिका की सैन्य रणनीति और भविष्य की तैयारियों पर बहस छिड़ गई है।
अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने सोमवार को सभी सैन्य शाखाओं को आदेश दिया है कि वे शीर्ष नेतृत्व स्तर पर 20% तक की कटौती करें। इसका मतलब यह है कि सेना के उच्चतम रैंक, जनरल्स और फ्लैग ऑफिसरों की संख्या में कमी की जाएगी। यह कदम बजट नियंत्रण, संचालन में दक्षता, और अनावश्यक पदों को खत्म करने की मंशा से उठाया गया है।
हेगसेथ ने खासतौर पर नेशनल गार्ड और मुख्य सेना को कहा है कि वे अपने बल में एक-स्टार जनरल और उससे ऊपर के अधिकारियों की संख्या में अतिरिक्त 10% की कटौती सुनिश्चित करें। नौसेना में भी यही नीति लागू होगी जहाँ समकक्ष फ्लैग अधिकारियों की संख्या घटाई जाएगी।
ट्रंप प्रशासन लंबे समय से सरकारी खर्चों में कटौती के पक्ष में रहा है। सेना में यह कदम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका विश्व की सबसे बड़ी सैन्य ताकत मानी जाती है, और वहाँ इस तरह की कटौती रणनीतिक दृष्टिकोण से अभूतपूर्व मानी जा रही है। सरकार का तर्क है कि इससे सैन्य तंत्र में प्रभावशीलता और व्यावसायिकता बढ़ेगी और जमीनी स्तर पर सैनिकों के लिए संसाधनों का बेहतर उपयोग संभव होगा।
सरकार की मंशा बजट अनुशासन की है, लेकिन सैन्य विशेषज्ञों और कुछ विपक्षी नेताओं ने इस निर्णय की आलोचना की है। उनका कहना है कि इससे कमांड संरचना कमजोर हो सकती है और संकट के समय प्रभावी नेतृत्व में कमी आ सकती है। सेना में इस तरह की छंटनी अमेरिका के लिए एक बड़ा प्रशासनिक और रणनीतिक बदलाव है। जहाँ एक ओर यह कदम सरकारी खर्च को सीमित करने की दिशा में बढ़ाया गया माना जा रहा है, वहीं दूसरी ओर यह भी सवाल खड़ा करता है कि क्या यह अमेरिका की वैश्विक सैन्य भूमिका को कमजोर करेगा?
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