बांग्लादेश में अल्पसंख्यक ही नहीं, पेड़-पौधे भी कट्टपंथियों के निशाने पर रह रहे हैं। मदारीपुर जिले के शिराखारा यूनियन के आलम मीर कंडी गांव में, 200 वर्ष पुराना एक बरगद के पेड़ को, बांग्लादेश के कट्टरपंथियों ने सिर्फ इसलिए काट दिया कि वह पेड़ हिंदुओं की आस्था का प्रतीक था।
बरगद के इस पेड़ को काटने से पहले कट्टरपंथियों की ओर से, बरगद के पेड़ के खिलाफ में फतवा भी जारी किया गया था। सूत्रों के अनुसार, इसमें बरगद के पेड़ को शिर्क (अल्लाह के साथ किसी और को जोड़ने की हरकत) बताया गया था और इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसमें कई लोग बरगद के पेड़ को काटते नजर आ रहे हैं।
स्थानीय लोगों के अनुसार, बरगद का यह पेड़ हिंदुओं के लिए लोकविश्वास और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक था। स्थानीय लोगों के अनुसार, कट्टपंथियों ने बीते शुक्रवार को एक सभा बुलाई थी, जिसमें इस बरगद के पेड़ को काटने का निर्णय लिया था। हिन्दू लोगों का कहना था कि बरगद का यह पेड़ कटना हमारी आत्मा को काटने जैसा है। हिन्दू लोग बरगद और पीपल के पेड़ पूजते हैं और इस पेड़ के नीचे लोग मन्नत मांगते हैं।
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