भारत में फुटबॉल के प्रति बढ़ते रुझान को देखते हुए देश का सबसे पुराना और प्रतिष्ठित टूर्नामेंट डूरंड कप अब एक नए रूप में सामने आ रहा है। 134वें संस्करण की विशेषता यह है कि पहली बार यह टूर्नामेंट देश के पांच अलग-अलग राज्यों में आयोजित किया जाएगा।
“डूरंड कप 2025” को 22 जुलाई से 23 अगस्त तक आयोजित किया जाएगा और इसका मुकाबला इस बार इम्फाल (मणिपुर), कोकराझार (असम), जमशेदपुर (झारखंड), शिलांग (मेघालय) और कोलकाता (पश्चिम बंगाल) में खेला जाएगा।
डूरंड कप की शुरुआत 1888 में हुई थी और यह एशिया का सबसे पुराना फुटबॉल टूर्नामेंट माना जाता है। इसे ब्रिटिश भारतीय सेना के अधिकारी सर मॉर्टिमर डूरंड ने शुरू किया था। शुरू में यह एक सैनिक प्रतियोगिता थी, लेकिन धीरे-धीरे यह राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय हो गया और अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी साख बनी है।
इस बार डूरंड कप में कई बड़े बदलाव किए गए हैं, जिसमें टीमों की संख्या को 16 से बढ़ाकर 24 कर दिया गया है। इंडियन सुपर लीग (ISL) की सभी टीमें इस बार मैदान में उतरेंगी, जिससे प्रतियोगिता का स्तर और भी ऊंचा होगा। अधिक स्थानों पर आयोजन होने से लॉजिस्टिक्स, प्रबंधन और तकनीकी चुनौतियां भी बढ़ेंगी, लेकिन इससे देश के फुटबॉल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूती मिलेगी।
मणिपुर, असम और मेघालय जैसे राज्यों में फुटबॉल की गहरी जड़ें हैं। यहां के खिलाड़ी तकनीकी रूप से बेहद सक्षम होते हैं और स्थानीय लोग भी इस खेल को एक त्योहार की तरह मानता हैं। इम्फाल और शिलांग में स्टेडियम हमेशा दर्शकों से भरा रहता हैं। कोकराझार जैसे शहर को पहली बार इस स्तर के आयोजन की मेजबानी मिली है, जिससे क्षेत्रीय उत्साह चरम पर है। यह कदम स्थानीय प्रतिभाओं को उभारने में अहम भूमिका निभाएगा।
झारखंड का जमशेदपुर शहर, जो टाटा स्टील और उसकी खेल नीतियों के लिए प्रसिद्ध है, इस बार डूरंड कप का मेजबानी करेगा। जब बात फुटबॉल की हो और कोलकाता का नाम न आए, ऐसा कैसे हो सकता है। मोहन बागान, ईस्ट बंगाल और मोहम्मडन स्पोर्टिंग जैसे ऐतिहासिक क्लबों की धरती इस बार भी इस टूर्नामेंट का फाइनल वेन्यू बनेगी। कोलकाता के फुटबॉल स्टेडियम, जैसे विवेकानंद युवा भारती क्रीड़ांगन (साल्ट लेक स्टेडियम), देश के सबसे बड़े स्टेडियमों में से एक है।
