फिशियल इंटेलिजेंस (एआई) दुनिया भर में तकनीकी क्रांति का नेतृत्व कर रहा है। लेकिन इस तकनीक के साथ जिम्मेदारी का सवाल भी जुड़ा हुआ है। ऐसे में मैकिंजी की नई रिपोर्ट भारत के लिए एक गर्व की बात लेकर आई है। रिपोर्ट के अनुसार, जवाबदेह यानी रिस्पॉन्सिबल एआई के क्षेत्र में भारत ने अमेरिका जैसे विकसित देश को भी पीछे छोड़ दिया है।
मशहूर कंसल्टेंसी फर्म मैकिंजी एंड कंपनी ने 'द स्टेट ऑफ एआई' नामक रिपोर्ट में 38 देशों के टेक्नोलॉजी, हेल्थ, फाइनेंस, लीगल, और सर्विस इंडस्ट्री से जुड़े 750 से अधिक वैश्विक नेताओं के विचारों के आधार पर तैयार किया गया है। इस रिपोर्ट में जवाबदेह एआई को लेकर देशों की तैयारियों और दृष्टिकोण का मूल्यांकन किया गया है।
रिपोर्ट में खासतौर पर उल्लेख किया गया है कि भारत एथिकल एआई स्कोर में 2.5 के साथ वैश्विक औसत से 23% ज्यादा अंक अर्जित कर चुका है। जबकि अमेरिका का स्कोर 2.4 ही है, जो भारत से कम है। यह दर्शाता है कि भारत न केवल तकनीकी प्रगति कर रहा है, बल्कि उसे नैतिकता और जवाबदेही के दायरे में रखकर आगे बढ़ा रहा है।
मैकिंजी के मुताबिक, 'जवाबदेह एआई' का मतलब है ऐसी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का विकास और प्रयोग, जो नैतिक, पारदर्शी, सुरक्षित और समावेशी हो। इसका आकलन चार प्रमुख आयामों के आधार पर किया गया। पहला रणनीति (Strategy)- एआई के नैतिक उपयोग की स्पष्ट दिशा। दूसरा जोखिम प्रबंधन (Risk Management) - गलत उपयोग या पूर्वाग्रह की पहचान और नियंत्रण। तीसरा डेटा और प्रौद्योगिकी (Data & Technology)- पारदर्शी और सुरक्षित डेटा स्रोतों का उपयोग और चौथा ऑपरेशनल गवर्नेंस (Operational Governance) - नियम, कानून और संस्थागत निगरानी की व्यवस्था।
भारत सरकार और निजी संस्थान लगातार एआई की जवाबदेह उपयोगिता पर काम कर रही हैं। राष्ट्रीय एआई नीति, डेटा संरक्षण कानून, और नैतिक गाइडलाइंस जैसे कदम भारत को इस दिशा में अग्रणी बना रहा हैं। इसके साथ ही, स्टार्टअप्स से लेकर बहुराष्ट्रीय कंपनियां तक एआई के सही और जिम्मेदार उपयोग के लिए प्रतिबद्ध नजर आ रही हैं।
मैकिंजी की रिपोर्ट यह संकेत देती है कि भारत अब सिर्फ एआई का उपभोक्ता नहीं, बल्कि नीति निर्धारण और नैतिक मानकों का अगुवा बन चुका है। जवाबदेह एआई के क्षेत्र में यह सफलता भारत की तकनीकी समझ, नीति निर्माण क्षमता और वैश्विक नेतृत्व की क्षमता का प्रमाण है।
जहां दुनिया के कई देश एआई के गलत उपयोग और सामाजिक प्रभावों को लेकर चिंतित हैं, वहीं भारत ने यह साबित कर दिया है कि तकनीक और नैतिकता का संतुलन संभव है। मैकिंजी की रिपोर्ट भारत की उस दूरदर्शिता का प्रमाण है जो उसे भविष्य की एआई महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर कर रही है।